कसाब की सजा बरकरार
नई दिल्ली।। मुंबई पर हुए 26/11 के हमलों में मुजरिम पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली। कसाब की मौत की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। कसाब को मुंबई की निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके बाद मुंबई हाई कोर्ट ने इसे बरकरार रखा था। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ कसाब ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब निचली अदालत कसाब की फांसी की तारीख मुकर्रर करेगी।
कसाब की मौत की सजा पर देश की सर्वोच्च अदालत की मुहर के बाद राजनीतिक पार्टियों और मुंबई में हमले में मारे गए लोगों के परिवार वालों ने पाकिस्तानी आतंकवादी को तुरंत फांसी देने की मांग की है। फैसले को स्वागत करते हुए बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि अब उसे जल्द सजा मिलनी चाहिए। हमले में मारे गए 166 लोगों में शामिल रहे छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर तैनात टिकट निरीक्षक सुशील कुमार शर्मा की पत्नी रागिनी शर्मा ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं। मैं जानती हूं कि मेरे पति वापस नहीं आने वाले हैं, लेकिन यह फैसला मेरी आत्मा को कुछ तसल्ली देता है कि अपराधी को सजा मिली है, भले ही वह एक मोहरा भर है।' उन्होंने कहा कि कसाब एक महीने के भीतर फांसी दे दी जानी चाहिए और राष्ट्रपति के यहां अपील करने का मौका उसे नहीं दिया जाना चाहिए
कसाब की मौत की सजा पर देश की सर्वोच्च अदालत की मुहर के बाद राजनीतिक पार्टियों और मुंबई में हमले में मारे गए लोगों के परिवार वालों ने पाकिस्तानी आतंकवादी को तुरंत फांसी देने की मांग की है। फैसले को स्वागत करते हुए बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि अब उसे जल्द सजा मिलनी चाहिए। हमले में मारे गए 166 लोगों में शामिल रहे छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर तैनात टिकट निरीक्षक सुशील कुमार शर्मा की पत्नी रागिनी शर्मा ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं। मैं जानती हूं कि मेरे पति वापस नहीं आने वाले हैं, लेकिन यह फैसला मेरी आत्मा को कुछ तसल्ली देता है कि अपराधी को सजा मिली है, भले ही वह एक मोहरा भर है।' उन्होंने कहा कि कसाब एक महीने के भीतर फांसी दे दी जानी चाहिए और राष्ट्रपति के यहां अपील करने का मौका उसे नहीं दिया जाना चाहिए
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