अब बेफ्रिक रहो और जमकर लो खर्राटे!
सिडनी। भले ही खर्राटे
आप को असहज स्थिति में डाल देते हों लेकिन यह जानलेवा नहीं। एक शोध के अनुसार अगर कोई
स्लीप एप्निया (नींद में सांस रुकने) की बीमारी से पीड़ित नहीं है तो
खर्राटे हृदय रोग या मौत के खतरे नहीं बढ़ाते।
लूलॉक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च साइंस के पूर्व के अध्ययन के अनुसार एप्निया से मृत्युदर में इजाफा हुआ है लेकिन यह नहीं मालूम हो पाया था कि क्या खर्राटे भी हृदय रोग बढ़ाते हैं?
शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग नींद के दौरान अधिकतर समय खर्राटे लेते हैं उनके सामने अगले 17 वर्षो तक कोई खतरा नहीं है। वैज्ञानिक पत्रिका 'स्लीप' के अनुसार जो लोग निद्रावस्था के 12 फीसदी या इससे भी कम समय तक खर्राटे लेते हैं उनके सामने हृदय रोग का कोई खतरा नहीं है।
शोध दल के प्रमुख नथानिएल मार्शल ने कहा कि जब हम सोते हैं तभी हम खर्राटे लेते हैं इसीलिए हम इसके बारे में नहीं जानते। इस वजह से हमें दूसरों के कहे पर निर्भर रहना पड़ेगा। यद्यपि अच्छी बात यह है कि खर्राटा न तो हृदय रोग बढ़ाते हैं और न ही मौत के खतरे को बढ़ाते हैं।
लूलॉक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च साइंस के पूर्व के अध्ययन के अनुसार एप्निया से मृत्युदर में इजाफा हुआ है लेकिन यह नहीं मालूम हो पाया था कि क्या खर्राटे भी हृदय रोग बढ़ाते हैं?
शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग नींद के दौरान अधिकतर समय खर्राटे लेते हैं उनके सामने अगले 17 वर्षो तक कोई खतरा नहीं है। वैज्ञानिक पत्रिका 'स्लीप' के अनुसार जो लोग निद्रावस्था के 12 फीसदी या इससे भी कम समय तक खर्राटे लेते हैं उनके सामने हृदय रोग का कोई खतरा नहीं है।
शोध दल के प्रमुख नथानिएल मार्शल ने कहा कि जब हम सोते हैं तभी हम खर्राटे लेते हैं इसीलिए हम इसके बारे में नहीं जानते। इस वजह से हमें दूसरों के कहे पर निर्भर रहना पड़ेगा। यद्यपि अच्छी बात यह है कि खर्राटा न तो हृदय रोग बढ़ाते हैं और न ही मौत के खतरे को बढ़ाते हैं।
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