वैट घटाने की बात पर यूपी सरकार क्यों चुप है ?
लखनऊ। पेट्रोल, डीजल, गैस की कीमतें बढ़ाने के विरोध में
20 सितंबर को भारत बंद हुआ। यूपी में सरकार चला रहे समाजवादियों ने पूरा
सूबा ठप कर दिया। पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव दिल्ली में बंद के बहाने तीसरे मोर्चे की
गाड़ी स्टार्ट करते दिखे। लेकिन ये तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है। पूरा सच
ये है कि यूपी सरकार डीजल पर 17.23 फीसदी वैट लगाती है, जबकि हरियाणा में
9.24 फीसदी, पंजाब में 9.07 फीसदी, दिल्ली में 12.50 फीसदी, और बिहार में
16 फीसदी वैट लगता है। यानी समाजवादी पार्टी चाहे तो आंदोलन के साथ-साथ
अपनी सरकार को वैट कम करने को कहे ताकि लोगों को कुछ राहत मिले। लेकिन
दिल्ली पर नजर गड़ाए पार्टी को लखनऊ दिखाई नहीं देता।
ऐसे में, विपक्ष ने अखिलेश सरकार पर हमला बोल दिया है। प्रदेश प्रवक्ता
कांग्रेस अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि जिस तरह बिहार ने लाभांश नहीं लिया
वैसे ही यूपी सरकार को भी करना चाहिए। विरोध करना और लाभ भी लेना, दोनों
साथ नहीं चलेगा। वरिष्ठ नेता बीएसपी नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि सरकार
गरीबों के लिए ऐसा कुछ नहीं कर रही जिससे राहत मिले, वैट हर हाल में न
सिर्फ कम होना चाहिए बल्कि शून्य होना चाहिए। यूपी में हर महीने 7.20 लाख
किलोलीटर डीजल की खपत है। इस तरह डीजल की बढ़ी दरों से सरकार को हर लीटर
डीजल पर 86 पैसे और मिलने लगे हैं। यानी सरकार को हर दिन 2 करोड़, हर महीने
60 करोड़ और 31 मार्च 2013 तक करीब 360 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी
होगी। डीजल पहले 44.05 रुपए लीटर था तो सरकार को वैट के रूप में 6 रूपये 34
पैसे मिलते थे। दाम में इजाफे के बाद डीजल 49.91 रुपए लीटर हो गया है और
अब सरकार को वैट से मिल रहे हैं 7 रुपये 20 पैसे।
जाहिर है, समाजवादी पार्टी जिस फैसले के लिए सरकार को कोस रही है, अखिलेश
सरकार उससे अपना खजाना भरने में जुट गई है। वो इसमें कोई कमी भी नहीं करना
चाहती। बीजेपी के विधायक राधा मोहनदास अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने साफ कर
दिया है, जो भी वैट लागू है वो बिल्कुल ठीक है लिहाजा कम नहीं होगा, ये
जनविरोधी फैसला है। मुख्यमंत्री वैट कम करने से लिखित तौर पर इंकार कर रहे
हैं लेकिन उनकी ही पार्टी के सांसद वैट पर अजीब तर्क दे रहे हैं। सांसद
घनश्याम अनुरागी ने कहा कि सरकार इसलिये वैट कम नहीं कर रही है क्योंकि वह
चाहते हैं, बढ़ी कीमतें ही वापस हो, इसी से जनता को राहत मिलेगी वैट कम
करने से नहीं।
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