'नेताजी' का अपमान, किताब में बताया गया 'उग्रवादी'
क्या भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक 'नेताजी' सुभाष चंद्र बोस उग्रवादी थे? छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे तो कुछ ऐसा ही समझते हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ में ग्यारहवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान (सोशल साइंस) की किताब में ऐसा ही लिखा गया है।
इस किताब के 103वें पन्ने में लिखा गया है, '33 साल की उम्र में वे कलकत्ता के मेयर और 1938 में कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। बाद में महात्मा गांधी से मतभेद होने के कारण बोस ने कांग्रेस से अलग होकर फ़ॉरवर्ड ब्लॉक नामक राजनीतिक पार्टी का गठन किया। सुभाष चंद्र बोस उग्रवादी थे।' हालांकि किताब में नेताजी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अभूतपूर्व योगदान के लिए सराहना भी की गई है।
नेताजी को उग्रवादी बताने वाली पुस्तक को लेकर कई लोगों ने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है। छत्तीसगढ़ कलिबरी समिति और राज्य के बंगाली बोलने वाले लोगों की एक संस्था ने किताब में नेताजी को इस तरह प्रकाशित करने पर आपति जताई है।
इस किताब के 103वें पन्ने में लिखा गया है, '33 साल की उम्र में वे कलकत्ता के मेयर और 1938 में कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। बाद में महात्मा गांधी से मतभेद होने के कारण बोस ने कांग्रेस से अलग होकर फ़ॉरवर्ड ब्लॉक नामक राजनीतिक पार्टी का गठन किया। सुभाष चंद्र बोस उग्रवादी थे।' हालांकि किताब में नेताजी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अभूतपूर्व योगदान के लिए सराहना भी की गई है।
नेताजी को उग्रवादी बताने वाली पुस्तक को लेकर कई लोगों ने राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है। छत्तीसगढ़ कलिबरी समिति और राज्य के बंगाली बोलने वाले लोगों की एक संस्था ने किताब में नेताजी को इस तरह प्रकाशित करने पर आपति जताई है।
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