महंगाई दर के हिसाब से बढ़ेगा रेलवे का किराया?
नई दिल्ली। सैम पित्रोदा की अगुवाई में
बने एक्सपर्ट ग्रुप ने इस साल की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि
अगले पांच साल में भारतीय रेलवे को 8.39 लाख करोड़ रुपए के इनवेस्टमेंट की
जरूरत होगी। रेलवे की वित्तीय सेहत सुधारने की शुरुआत सर्विस टैक्स लगाने
के साथ ही कर दी
गई है।
यूपीए के पूर्व सहयोगी तृणमूल कांग्रेस के
चलते इसे होल्ड पर रखा गया था। कुछ समय पहले तक उसके पास यह पोर्टफोलियो
था। यूपीए-1 और यूपीए-2 दोनों के ही दौरान रेलवे मंत्रालय कांग्रेस सरकार
को सपोर्ट देने वाले सहयोगी दलों को दिया गया, जिन्होंने किराए में बढ़ोतरी
नहीं की।
अब भारतीय रेलवे को फाइनैंशल क्राइसिस से बचाने के लिए सरकार ब्लूप्रिंट
तैयार कर रही है। सूत्रों के अनुसार पहले रेल मंत्रालय कांग्रेस के सहयोगी दलों के पास था।
उन्होंने रेलवे की फाइनैंशल हेल्थ का ख्याल किए बिना आम लोगों के हितों को
ज्यादा तवज्जो दी। इससे रेवेन्यू बढ़ाने के उपायों और इनवेस्टमेंट की
रफ्तार थम गई है।
फाइनैंस मिनिस्ट्री की लीडरशिप में प्लानिंग
कमिशन और रेलवे कई उपायों पर काम कर रहे हैं। इनमें किराए को इनफ्लेशन से
जोड़ना, इनवेस्टमेंट की रफ्तार बनाए रखने के लिए पब्लिक-प्राइवेट
पार्टनरशिप, माल ढुलाई के लिए गोल्डन क्वाड्रीलैटरल नेटवर्क तैयार करना और
फंड जेनरेट करने के लिए लैंड रिसोर्सेज से पैसा जुटाना शामिल हैं।
डेडलाइन का जिक्र किए बगैर एक सीनियर सरकारी अफसर ने बताया, 'रेलवे का
टर्न-अराउंड हमारा अगला एजेंडा है। ऑर्गेनाइजेशन में नई जान फूंकने के लिए
जल्द प्लान तैयार किया जाएगा।'
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