कार्तिक माह में सूर्योदय से पूर्व स्नान के फायदे
कार्तिक
मास को शास्त्रों में पुण्य मास कहा गया है। पुराणों के अनुसार जो फल सामान्य दिनों
में एक हजार बार गंगा स्नान का होता है तथा प्रयाग में कुंभ के दौरान गंगा स्नान का
फल होता वही फल कार्तिक माह में सूर्योदय से पूर्व किसी भी नदी में स्नान करने
मात्र से प्राप्त हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास स्नान की शुरूआत शरद
पूर्णिमा
से होती है और इसका समापन कार्तिक पूर्णिमा को होता है। पद्म पुराण
के अनुसार जो व्यक्ति पूरे कार्तिक माह में सूर्योदय से पूर्व उठकर नदी अथवा तालाब
में स्नान करता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है। भगवान विष्णु की उन पर असीम
कृपा होती है। पद्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति कार्तिक मास में नियमित रूप से
सूर्योदय से पूर्व स्नान करके धूप-दीप सहित भगवान विष्णु की पूजा करते हैं वह भगवान
विष्णु के प्रिय होते हैं। पद्मपुराण की कथा के अनुसार कार्तिक स्नान और पूजा के
पुण्य से ही सत्यभामा को भगवान श्री कृष्ण की पत्नी होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कथा है कि एक बार कार्तिक मास की महिमा जानने के लिए कुमार कार्तिकेय ने
भगवान शिव से पूछा कि कार्तिक मास को सबसे पुण्यदायी मास क्यों कहा जाता है। इस पर
भगवान शिव ने कहा कि नदियों में जैसे गंगा श्रेष्ठ है, भगवानों में विष्णु उसी
प्रकार मासों में कार्तिक श्रेष्ठ मास है। इस मास में भगवान विष्णु जल के अंदर
निवास करते हैं। इसलिए इस महीने में नदियों एवं तलाब में स्नान करने से विष्णु
भगवान की पूजा और साक्षात्कार का पुण्य प्राप्त होता है। भगवान विष्णु ने
जब श्री कृष्ण रूप में अवतार लिया तब रूक्मिणी और सत्यभामा उनकी पटरानी हुई।
सत्यभामा पूर्व जन्म में एक ब्राह्मण की पुत्री थी। युवावस्था में ही एक दिन इनके
पति और पिता को एक राक्षस ने मार दिया। कुछ दिनों तक ब्राह्मण की पुत्री रोती रही।
इसके बाद उसने स्वयं को विष्णु भगवान की भक्ति में समर्पित कर दिया। वह सभी
एकादशी का व्रत रखती और कार्तिक मास में नियम पूर्वक सूर्योदय से पूर्व स्नान करके
भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा करती थी। बुढ़ापा आने पर एक दिन जब ब्राह्मण की
पुत्री कार्तिक स्नान के लिए गंगा में डुबकी लगायी तब बुखार से कांपने लगी और गंगा
तट पर उसकी मृत्यु हो गयी। उसी समय विष्णु लोक से एक विमान आया और ब्राह्मण की
पुत्री का दिव्य शरीर विमान में बैठकर विष्णु लोक पहुंच गया।
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