सर्विक्स कैंसर कम उम्र में यौन संबंध बनाने से बढ़ता है
नयी दिल्ली।शहरों में लड़कियों में कम उम्र में यौन संबंध
बनाने तथा गांवों में महिलाओं में यौन अंगों की स्वच्छता के प्रति
लापरवाही के कारण हमारे देश में बच्चेदानी के मुंह का कैंसर "सर्विक्स
कैंसर" तेजी से फैल रहा है. भारत में इस कैंसर के तेजी से बढ़ते प्रकोप के
कारण यह महिलाओं में पहले नम्बर का कैंसर बन गया है और यह हर सात मिनट
में एक महिला को मौत का ग्रास बना रहा है, जबकि दूसरे नंबर पर स्तन कैंसर है, जिससे हर दस मिनट में एक महिला की मौत होती है. अगर इसके बढ़ने की यही रफ्तार बनी रही तो 2025 तक साढे चार मिनट में एक महिला की मौत सर्विक्स कैंसर से होगी, जबकि हर छह मिनट में एक महिला की मौत स्तन कैंसर से होगी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 72 हजार 800 महिलाओं की मौत इस कैंसर से होती है. यह कैंसर 15 से 44 वर्ष की महिलाओं में बहुत सामान्य है. कालेज ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तथा एशियन इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस "एआईएमएस" के निदेशक डॉ. एन. के. पाण्डे का कहना है कि भारत में जिस तेजी से महिलाओं में विभिन्न तरह के कैंसर से होने वाली मौत बढ़ रही है, उसे देखते हुये राष्ट्रीय स्तर पर कैंसर से निबटने की ठोस रणनीतियां बनायी जानी चाहिये और उन पर अमल किया जाना चाहिये. डॉ. पाण्डे ने बताया कि गांवों में खराब स्वास्थ्य एवं अस्वच्छता खास तौर पर यौन अंगों की अस्वच्छता के कारण सर्विकल कैंसर का प्रकोप बढ़ रहा है, जबकि शहरों में आधुनिक समय में कम उम्र की लड़कियों के यौन संबंध बनाने के कारण उनके इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा बहुत बढ़ गया है. हालांकि इस बीमारी से बचाव करने वाला टीका भारत में उपलब्ध हो चुका है और इसकी मदद से इस घातक बीमारी की रोकथाम हो सकेगी. भारत में भी इस टीके को लागू किया जा चुका है. यह टीका 10 से 26 साल की उम्र में लड़की को लगाया जा सकता है. इस टीके को 90 प्रतिशत तक कारगर पाया गया है. इंडियन कैंसर सोसायटी की सचिव ज्योत्सना गोविल बताती हैं कि सर्विक्स कैंसर के फैलने की दर 30-34 वर्ष के आयु समूह में बढ़ती है और 55-65 वर्ष के समूह में अधिकतम हो जाती है. सर्विकल कैंसर महिलाओं के जीवन की चरम स्थिति में महिलाओं को प्रभावित करता है जब उनके परिवारों को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. भारतीय महिलाओं में कैंसर से संबंधित मौतों का सर्वप्रमुख कारण होने के बावजूद बहुत कम महिलाएं जानती हैं कि सर्विकल कैंसर टीके एवं समय पर जांच के माध्यम से इसे रोका जा सकता है. महिलाओं को यह जानने की जरूरत है कि इस कैंसर को कैसे रोका जा सकता है और इसकी जल्दी पहचान होने पर कितनी आसानी से इसे रोका जा सकता है. उन्होंने बताया कि इंडियन कैंसर सोसायटी ने अपने जांच केन्द्रों में इसकी निशुल्क जांच की व्यवस्था की है. सुप्रसिद्ध शल्य चिकित्सक तथा एसोसिएशन आफ सर्जन्स ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पाण्डे कहते हैं पुरूषों की तुलना में महिलाओं में कैंसर के उपचार की दर बेहतर होती है और जागरूकता, शीघ्र पहचान तथा शीघ्र उपचार शुरू करके महिलाओं को कैंसर से बचाया जा सकता है, लेकिन जरूरी है कि इसके लिये राष्ट्रीय स्तर पर ठोस रणनीति बनायी जाये.
में एक महिला को मौत का ग्रास बना रहा है, जबकि दूसरे नंबर पर स्तन कैंसर है, जिससे हर दस मिनट में एक महिला की मौत होती है. अगर इसके बढ़ने की यही रफ्तार बनी रही तो 2025 तक साढे चार मिनट में एक महिला की मौत सर्विक्स कैंसर से होगी, जबकि हर छह मिनट में एक महिला की मौत स्तन कैंसर से होगी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 72 हजार 800 महिलाओं की मौत इस कैंसर से होती है. यह कैंसर 15 से 44 वर्ष की महिलाओं में बहुत सामान्य है. कालेज ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तथा एशियन इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस "एआईएमएस" के निदेशक डॉ. एन. के. पाण्डे का कहना है कि भारत में जिस तेजी से महिलाओं में विभिन्न तरह के कैंसर से होने वाली मौत बढ़ रही है, उसे देखते हुये राष्ट्रीय स्तर पर कैंसर से निबटने की ठोस रणनीतियां बनायी जानी चाहिये और उन पर अमल किया जाना चाहिये. डॉ. पाण्डे ने बताया कि गांवों में खराब स्वास्थ्य एवं अस्वच्छता खास तौर पर यौन अंगों की अस्वच्छता के कारण सर्विकल कैंसर का प्रकोप बढ़ रहा है, जबकि शहरों में आधुनिक समय में कम उम्र की लड़कियों के यौन संबंध बनाने के कारण उनके इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा बहुत बढ़ गया है. हालांकि इस बीमारी से बचाव करने वाला टीका भारत में उपलब्ध हो चुका है और इसकी मदद से इस घातक बीमारी की रोकथाम हो सकेगी. भारत में भी इस टीके को लागू किया जा चुका है. यह टीका 10 से 26 साल की उम्र में लड़की को लगाया जा सकता है. इस टीके को 90 प्रतिशत तक कारगर पाया गया है. इंडियन कैंसर सोसायटी की सचिव ज्योत्सना गोविल बताती हैं कि सर्विक्स कैंसर के फैलने की दर 30-34 वर्ष के आयु समूह में बढ़ती है और 55-65 वर्ष के समूह में अधिकतम हो जाती है. सर्विकल कैंसर महिलाओं के जीवन की चरम स्थिति में महिलाओं को प्रभावित करता है जब उनके परिवारों को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. भारतीय महिलाओं में कैंसर से संबंधित मौतों का सर्वप्रमुख कारण होने के बावजूद बहुत कम महिलाएं जानती हैं कि सर्विकल कैंसर टीके एवं समय पर जांच के माध्यम से इसे रोका जा सकता है. महिलाओं को यह जानने की जरूरत है कि इस कैंसर को कैसे रोका जा सकता है और इसकी जल्दी पहचान होने पर कितनी आसानी से इसे रोका जा सकता है. उन्होंने बताया कि इंडियन कैंसर सोसायटी ने अपने जांच केन्द्रों में इसकी निशुल्क जांच की व्यवस्था की है. सुप्रसिद्ध शल्य चिकित्सक तथा एसोसिएशन आफ सर्जन्स ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पाण्डे कहते हैं पुरूषों की तुलना में महिलाओं में कैंसर के उपचार की दर बेहतर होती है और जागरूकता, शीघ्र पहचान तथा शीघ्र उपचार शुरू करके महिलाओं को कैंसर से बचाया जा सकता है, लेकिन जरूरी है कि इसके लिये राष्ट्रीय स्तर पर ठोस रणनीति बनायी जाये.
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें