मताधिकार कानून की समीक्षा करेगा कोर्ट
वाशिंगटन।अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने अश्वेतों के
मताधिकारों की रक्षा करने वाले कानून के खिलाफ् दायर अपील की समीक्षा करने
के प्रति रजामंदी व्यक्त की है. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय हाईकोर्ट के उस
कदम के बाद उठाया है, जिसमें उसने अलाबामा प्रांत के शेल्बी काउंटी इलाके
की सरकार द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया था.
इस अपील में 1965 के
"मताधिकार कानून" के मूलतत्वों को ही चुनौती दी गयी थी. इस कानून ने अश्वेत
लोगों को मत डालने का अधिकार तो दिया ही था साथ ही ऐतिहासिक तौर पर
अश्वेतों के प्रति विद्वेष रखने वाले नौ प्रांतों के लिये चुनाव प्रक्रिया
में संशोधन करने से पहले केन्द्र सरकार की आज्ञा लेना अनिवार्य बना दिया
था. उल्लेखनीय है कि अमेरिका में अश्वेतों का आगमन 16वीं सदी में गुलामों
के तौर पर हुआ था और यहां के श्वेत मालिकों ने अपने खेतों तथा दूसरे कामों
में बंधुआ मजदूर की तरह से काम कराने में उनका इस्तेमाल किया. हालांकि 1865
के गृहयुद्ध के बाद अब्राहम लिंकन की पहल पर गुलाम प्रथा समाप्त तो कर दी
गयी थी, लेकिन अफ्रीकियों के प्रति द्वेष की भावना बरकरार रही. अमेरिकी
सरकार ने हालांकि समय पर अश्वेतों को समाज में बराबर का दर्जा दिलाने
के लिये विभिन्न कानून पारित किये.
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