शिक्षक भर्ती घोटाले में बाप-बेटे को 10 साल की सजा
नई दिल्ली। शिक्षक भर्ती घोटाले में फंसे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश
चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को दिल्ली के रोहिणी कोर्ट ने 10 साल की
सुनाई। वहीं, कोर्ट के सजा सुनाए जाने के बाद समर्थकों का फिर से हंगामा
शुरू हो गया, जिसके बाद हंगामे को शांत करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज
करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
इसके पहले भी चौटाला समर्थक
मंगलवार सुबह दिल्ली में रोहिणी अदालत के बाहर इकट्ठे हो गए थे।समर्थकों
ने जबरदस्ती अदालत परिसर में प्रवेश करने की कोशिश की। हरियाणा में 12 साल पुराने जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले में गत 16
जनवरी को सीबीआई को अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके बेटे
अजय चौटाला और 53 अन्य आरोपियों को दोषी करार दिया था। सीबीआई की अदालत ने
अपने फैसले में ओमप्रकाश चौटाला को घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता करार दिया
था। वर्ष 1999-2000 के दौरान 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी)
शिक्षकों की भर्ती में घोटाले के इस मामले में पूर्व आईएएस संजीव कुमार,
पूर्व आईएएस विद्याधर, मौजूदा विधायक शेर सिंह बडशामी और 16 महिला
अधिकारियों को भी दोषी करार दिया गया था। अदालत ने इन सभी आरोपियों
को धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम
के तहत पद के दुरुपयोग के दोषी पाया था। चौटाला की शह पर राज्य सरकार के
अधिकारियों ने इस घोटाले को अंजाम दिया। पूर्व आईएएस अधिकारी संजीव
कुमार ने ही सबसे पहले इस घोटाले का खुलासा किया था, लेकिन सीबीआई जांच
में वह भी लिप्त पाए गए। मामले मे एक अन्य आरोपी विद्याधर तब चौटाला के
ओएसडी थे, जबकि बडशामी उनके राजनीतिक सलाहकार थे। संजीव कुमार ने
वर्ष 2003 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआई से
कराने की मांग की थी। सीबीआई ने वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के
बाद जेबीटी मामले की जांच शुरू की थी। जांच एजेंसी ने 2008 में कुल 62
आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई अदालत ने जुलाई 2010
में आरोप तय किए। मामले की सुनवाई करीब ढाई साल पहले सीबीआई अदालत में शुरू
हुई थी।