नागा महिलाओं को कुंभ में नग्न रहने की इजाजत नहीं
इलाहाबाद। कुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा
धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस आयोजन का नियंत्रण काफी हद तक नागा साधुओं के
जिम्मे होता है। पुरुषों की बहुलता वाले इस आयोजन में अब तक महिला साधु
पुरुषों के अखाड़े में शामिल होती रहीं। प्रत्येक
12 साल पर आयोजित होने वाले कुंभ के आयोजन का इतिहास करीब हजार साल पुराना
है। पुरुष साधुओं के अखाड़े में महिलाओं को कमतर माना जाता था।
पुरुषों के
नेतृत्व के तले उन्हें कम जगह में कम सुविधाओं के साथ रहना होता था। लेकिन
अब ऐसा नहीं है, क्योंकि उनका अपना अखाड़ा है, अपना नेता है और अपने
संसाधन हैं। महिलाओं के अखाड़े की सुरक्षा
में पुलिस की सख्त निगरानी भी है। महिलाओं के अखाड़े की नेता दिव्या गिरी
कहती हैं कि यह हमारी नई पहचान है। 2004 में विधिवत तौर पर साधु बनने से
पहले 35 साल की दिव्या ने baLV~h;wV
ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हाइजिन, नई
दिल्ली से मेडिकल टेक्नीशियन की पढ़ाई पूरी की है। वे कहती हैं कि हम कुछ चीजें
अलग से करना चाहती हैं। जूना अखाड़े के ईष्टदेव भगवान दत्तात्रेय हैं। हम
अपना ईष्टदेव दत्तात्रेय की मां अनुसूया को अपना देवी बनाना चाहती हैं।
भगवान को निर्धारित करना एक चीज है, लेकिन लिंग आधारित भेदभाव को दूर करना
एक दूसरी बात है।एक सप्ताह पहले ही, फ्रांस की
कोरिने कोको लियरे साधु बनी हैं। भगवा कपड़ों में मितभाषी कोरिने बताती
हैं कि अभी भी अखाड़ों में पुरुषों और महिलाओं में बराबरी नहीं आई है। हमारा
टेंट कहां लगेगा जैसे बड़े फ़ैसलों के लिए हम अभी भी अखाड़ों के पुरुषों के
लिए निर्भर हैं। वैसे लियरे का नाम अब संगम गिरी है। संगम गिरी ने अपने
लिए महिला गुरुओं की तलाश शुरू कर दी है। एक नागा साधु को पांच गुरु चुनने
होते हैं। जूना संन्यासिन अखाड़ा में
तीन चौथाई महिलाएं नेपाल से आई हुई हैं। नेपाल में ऊंची जाति की विधवाओं को
दोबारा शादी करने को समाज स्वीकार नहीं करता। ऐसे में ये विधवाएं अपने घर
लौटने की बजाय साधु बन जाती हैं। वैसे नागा अखाड़ों में
महिलाओं को अलग नजरिए से देखने की एक वजह और भी मौजूद है। पुरुष साधुओं को
सार्वजनिक तौर पर नग्न होने की इजाजत है, लेकिन महिला साधु ऐसा नहीं कर
सकतीं। लेकिन जूना अखाड़े की महिलाओं
को यह इजाजत भी मिली हुई है। 70 साल की प्रहलाद गिरी ने बताया कि
उन्हें बस एक महिला साधु ब्रह्मा गिरी की याद है जो हमेशा नग्न रहा करतीं
थीं और अपनी सुरक्षा के लिए दोनों तरफ़ तलवारें रखती थीं। ब्रह्म गिरी का देहांत हो
चुका है और किसी महिला साधु को नग्न रहने की इजाजत नहीं है। ख़ासकर कुंभ
में डुबकी लगाने वाले दिन में तो एकदम नहीं। कुंभ के शाही स्नान की शुरुआत
से एक दिन पहले जूना अखाड़े के पुरुष साधुओं ने दिव्या गिरी को ये कहा कि
वे इस बात का ख्याल रखें कि कोई महिला साधु नग्न अवस्था में नजर नहीं आएं।
इसके चलते ज्यादातर महिलाएं एक कपड़ा लपेटे हुए मिलती हैं।जूना अखाड़े के महासचिव हरि
गिरी कहते हैं कि हम इसकी इजाजत कैसे दे सकते हैं। महिलाओं का नग्न रहना
भारतीय परंपरा में शामिल नहीं है।