देश में पांच फीसदी की धीमी विकास दर निराशाजनक: PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक आमसभा में कहा कि
सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में और राहत देगी और मुद्रास्फीति का
कम करने के लिए कदम उठाएगी।
सिंह ने यह भी कहा कि भारत भ्रष्टाचार,
नौकरशाही के निकम्मेपन और गठबंधन चलाने की परेशानियों से निपटने के साथ ही
आठ फीसदी की उच्च विकास दर के रास्ते पर वापस लौट सकता है। उन्होंने कहा कि विकास दर धीमी होकर पांच फीसदी तक चली गई है, जो साफ तौर
पर निराशाजनक है। यह अस्थाई गिरावट है, जिसके लिए आंशिक तौर पर वैश्विक
तत्व जिम्मेदार हैं। हम आठ फीसदी विकास दर पर लौट सकते हैं। उन्होंने साथ
ही कहा कि सरकार विकास को बढ़ावा देने के लिए निर्णायक और त्वरित कार्रवाई
करेगी। उच्च राजकोषीय घाटे को अस्वीकार्य बताते हुए सिंह ने कहा कि हम राजकोषीय
घाटे के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हरसंभव कार्रवाई करने को दृढ़
प्रतिज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि तैयार खाके के अनुसार, सरकार वर्ष 2016-17
तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के तीन फीसदी तक कम करने का लक्ष्य
लेकर चल रही है। चालू खाता घाटे (सीएडी) के संबंध में प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि यह
चालू वित्त वर्ष में वर्ष 2012-13 में दर्ज किए गए पांच फीसदी से कम हो
जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएगी कि
विदेशी कोष का प्रवाह मजबूत बना रहे और दीर्घकालिक आर्थिक संतुलन बहाल हो।उन्होंने कहा कि कारोबारी माहौल, जो वर्ष 2007 में असामान्य रूप से आशावादी
था, आज अनावश्यक रूप से निराशावादी है। मैं भारतीय उद्योग जगत से अपील
करूंगा कि हमारे संकल्प में विश्वास रखे और निराशा में न फंसे। मनमोहन सिंह
ने कहा कि राजकोषीय घाटा बढ़ने से चालू खाते का घाटा बढ़ा है। अनुमान है
कि वर्ष 2012-13 में यह जीडीपी के करीब पांच फीसदी तक रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने वर्ष 2012-13 में विदेशी मुद्रा भंडार में
बिना कमी हुए 90 अरब डॉलर के सीएडी का घाटा निपटाया है, और साथ ही हम यह सुनिश्चित करने के लिए हर कदम उठाएंगे कि अगले दो साल
में विदेशी पूंजी का प्रवाह मजबूत बना रहे। सिंह ने कहा कि दिसंबर 2012
में गठित निवेश संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीआई) ने लंबे समय से अटके
परियोजनाओं के प्रस्तावों के निस्तारण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की
है।