मंगलयान सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पंहुचा
नई दिल्ली। स्पेस
टेक्नॉलजी में मंगलवार को भारत ने बड़ी सफलता हासिल की है। भारत ने
सफलतापूर्वक मंगलयान को इसरो के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से
पोलर सैटलाइट लॉन्च वीइकल (पीएसएलवी) सी-25 की मदद से मंगलवार दोपहर 2.38
बजे छोड़ा।
तीन बज कर 20 मिनट के निर्धारित समय पर यह पृथ्वी की कक्षा में
पहुंच गया। इसके साथ ही पीएसएलवी सी- 25 लॉन्च का चौथा चरण भी सफलतापूर्वक
पूरा हो गया।मंगलयान के प्रक्षेपण के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो]
मंगलयान लांच करने वाली दुनिया की चौथी एजेंसी बन गया है। इसरो के प्रमुख राधाकृष्णन ने इसके प्रक्षेपण के बाद बताया कि इससे भारत ने अपनी
अंतरिक्ष क्षेत्र की तकनीकी क्षमता को साबित कर दी है। तीन सौ दिन की
यात्रा पूरी कर 24 सितंबर 2014 को यान मंगल की कक्षा में पहुंचेगा।इससे पहले अमेरिका, रूस, जापान, चीन और यूरोपीय संघ ने भी दूसरे ग्रहों पर
यान भेजा है। प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी 25 ने जैसे ही लांच पैड से उडान
भरी, नियंत्रण केंद्र में मौजूद सभी वैज्ञानिकों के चेहरे खिल उठे। चालीस
मिनट की उड़ान के बाद यान को धरती की कक्षा में स्थापित कर दिया गया। यहां
तक पहुंचना मंगल मिशन की पहली चुनौती थी जिसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया
है। यहां 01 दिसंबर तक चक्कर लगाने के बाद इसे मंगल की ओर रवाना किया
जायेगा। यान पर पांच उपकरण लगाये गये हैं, जो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा मंगलयान
की आरंभिक यात्रा की निगरानी में इसरो की मदद करेगा। बाद में इसरो का डीप
स्पेस नेटवर्क स्टेशन (आईडीएसएन) यान की आगे की यात्रा को पूरी तरह
नियंत्रित करेगा। तीन सौ दिन की यात्रा के बाद मंगलयान 24 सितंबर 2014 को
मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा। आरंभिक रिपोर्ट के अनुसार 82 किलोमीटर की ऊंचाई पर जाने के साथ ही राकेट
पर लगा चार पट्टियों वाला मोटर यान से अलग हो गया। उस समय यान का वेग 2.3
किलोमीटर प्रति सेकंड था। यान के पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने के बाद छह इंजन इससे अलग हो गए।
मंगलयान को 30 नवंबर को ऐसे वक्र में स्थानांतरित कर दिया जायेगा जहां से
उसे मंगल ग्रह की ओर रवाना किया जा सकेगा। अगले ही दिन 40 करोड़ किलोमीटर की
मंगलयात्रा शरू हो जायेगी। लगभग तीन सौ दिन की यात्रा पूरी कर यान मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचेगा।
उससे पहले इसकी गति कम कर दी जायेगी, ताकि अधिक गति के कारण यह मंगल के
गुरुत्वाकर्षण का शिकार होकर ग्रह से न टकरा जाये।
ग्रह से 80 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर यह मंगल के चक्कर लगायेगा और ग्रह
पर मौजूद गैसों, खनिजों, वहां की धरातल की संरचना, पानी की मौजूदगी आदि के
बारे में जानकारी एकत्र करेगा। यान बेंगलूर के पास स्थित इसरो के डीप स्पेस
नेटवर्क स्टेशन को ये आंकड़े भेजेगा जो मंगलयात्रा के दौरान बाद के चरण में
यान को नियंत्रित करेगा।