गैस प्राइस को लेकर सरकार के तेवर पड़े ढीले
नई दिल्ली। गैस की कीमत के मुद्दे पर
चुनाव तक कदम न बढ़ाने के निर्वाचन आयोग के आदेश के बाद मंगलवार को आरआईएल
का शेयर 2.9% और ओएनजीसी का शेयर 0.3% गिरा।
सीआईआई के प्रेजिडेंट
क्रिस गोपालकृष्णन ने चुनाव आयोग पर ही आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का
आरोप जड़ दिया। सीआईआई के एक बयान में कहा गया कि गैस का मौजूदा दाम
अनुमानित संशोधित कीमत के लगभग आधे पर है। इसे मौजूदा लेवल पर बनाए रखना
चुनावी माहौल में कंज्युमर्स के लिए बोनांजा है और यह अपने आप में आदर्श
आचार संहिता के उल्लंघन सरीखा मामला है। सरकार ने मंगलवार को
सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने सिर्फ गैस प्राइसिंग फॉर्म्युला नोटिफाई
किया है, न कि एक्चुअल प्राइस। इलेक्शन कमिशन के सोमवार को दिए गए आदेश के
चलते सरकार इसकी घोषणा नहीं कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार के ताजा
बयान पर वकीलों ने कहा कि सरकार के तेवर अब नरम हो गए हैं क्योंकि पहले वह
गैस की ऊंची कीमत का साफ तौर पर सपोर्ट कर रही थी। हालांकि, सरकार ने कहा कि
गैस का दाम बढ़ाने का फैसला पिछले साल जून में किया गया था और आदर्श चुनाव
आचार संहिता लागू होने के दो महीने पहले इसे नोटिफाई किया गया था। सॉलिसीटर
जनरल मोहन पराशरन ने कहा कि दाम बढ़ाने का कोई 'औपचारिक आदेश नहीं था।'
जस्टिस बी. एस. चौहान, जस्टिस चेलामेश्वर और जस्टिस के. जोसेफ से उन्होंने
कहा, 'कोई एक्चुअल ऑर्डर जारी नहीं किया गया है। प्राइस फिक्स नहीं किया
गया है। यह तो फॉर्म्युला भर है।' सीपीआई लीडर गुरुदास गुप्ता और एनजीओ
कॉमन कॉज की याचिकाओं की सुनवाई कर रही बेंच से ऑइल मिनिस्ट्री के वकील एल
नागेश्वर राव ने कहा कि चुनाव आयोग के सोमवार के कदम को देखते हुए
मिनिस्ट्री नोटिफिकेशन पर कदम नहीं बढ़ा सकती है।