सुब्रत राय की जमानत याचिका खारिज, जेल में ही रहेंगे
नई दिल्ली। सु्प्रीम
कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें
उन्होंने निवेशकों का धन न लौटाने के कारण सु्प्रीम कोर्ट द्वारा खुद को
हिरासत में रखे जाने को चुनौती दी थी।
कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि पैसा लौटाने का नया
प्रस्ताव लेकर आइए फिर उनकी याचिका पर गौर किया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने
कहा कि जजों पर मानसिक दबाव डालने की कोशिश की गई। केस को प्रभावित करने का
प्रयास किया गया। गौरतलब है कि सहारा प्रमुख दो अन्य डायरेक्टरों के साथ 4
मार्च से जेल में बंद हैं। कोर्ट ने कहा हमें याचिका में कोई तथ्य नहीं मिला और हम इसे खारिज करते
है। हमने कड़ा रुख तब अपनाया जब रकम लौटाने के लिए समूह को समझाने के हमारे
सारे प्रयास नाकाम हो गए।
कोर्ट ने कहा कि राय और समूह ने हमारे आदेशों का व्यवस्थित रूप से
अनुपालन नहीं किया। तथ्यों से पता चलता है कि समूह ने उच्चतम न्यायालय,
उच्च न्यायालय और एसएटी (प्रतिभूति अपीली पंचाट) के सभी आदेशों का उल्लंघन
किया। इससे पहले 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तिहाड़ जेल की जगह नजरबंद
(हाउस अरेस्ट) रखने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट
में सहारा प्रमुख सुब्रत राय की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान सहारा समूह
ने दलील दी थी कि सहारा प्रमुख के जेल में रहते पैसा जुटाना बेहद मुश्किल
है। सहारा ने कहा था कि वह अपनी संपत्ति बेचने के लिए इंटरनेशनल खरीददारों
की तलाश में हैं, लेकिन कोई भी इंटरनेशनल खरीददार सुब्रत से मिलने जेल में
नहीं आएगा। समूह ने न्यायालय के समक्ष यह प्रस्ताव भी रखा कि अगर कोर्ट
चाहे तो उन्हें तिहाड़ जेल की बजाय हाउस अरेस्ट रख सकता है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले यह शर्त लगाई थी कि यदि राय दस हजार करोड़
रुपये में से पांच हजार करोड़ रुपए की बैंक गारंटी और शेष पांच हजार करोड़
रुपये नकद भुगतान करें तो उन्हें जमानत पर छोड़ा जा सकता है।