दागी मंत्रियों पर प्रधानमंत्री खुद करें फैसला : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि
वह भ्रष्टाचार और आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे मंत्रियों को अयोग्य
ठहराने के लिए दिशा-निर्देश जारी नहीं कर सकता है। क्योंकि मंत्री पद पर नियुक्ति करना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है।
हालांकि सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि दागी नेताओं को मंत्री नहीं
बनाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्रियों के लिए भी कोर्ट ने यही बात कही है। यह
फैसला इस लिहाज से अहम है कि मोदी सरकार में 14 मंत्रियों पर आपराधिक मामले
दर्ज हैं। जल संसाधन मंत्री उमा भारती पर कुल 13 केस दर्ज हैं। इनमें छह
दंगों से जुड़े और दो हत्या से संबंधित हैं। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों
की बेंच ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा, 'किसी की नियुक्ति को
खारिज नहीं किया जा सकता है। किसी को मंत्री बनाना प्रधानमंत्री का
विशेषाधिकार है और हम इस बारे में कोई निर्देश नहीं जारी कर सकते हैं।
संविधान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों में गहरा विश्वास रखता है और उनसे
उम्मीद करता है कि वे जिम्मेदारी के साथ और संवैधानिक आचरण के अनुरूप
व्यवहार करेंगे।