चिकित्सा शोध के क्षेत्र में भारत काफी पीछे: मोदी
प्रधानमंत्री ने डॉक्टरों से साल में कम से कम एक सप्ताह दूर दराज क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों के बीच काम करने को कहा। एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) के 42वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘आप काफी सौभाग्यशाली हैं कि आपको एम्स जैसे संस्थान में अध्ययन करने का मौका मिला। मुझे आपसे उम्मीद है कि भारत मां के बच्चों के रूप में आप उस समाज के लिए योगदान करेंगे जिसने आपको इतना प्यार दिया।’’ मोदी ने कहा कि भारतीय डॉक्टरों ने दुनियाभर में नाम कमाया है लेकिन इस क्षेत्र में शोध में भारत अन्य देशों से काफी पीछे है।
मोदी ने कहा, ''शोध के
क्षेत्र में हमें ‘केस हिस्ट्री’ के प्रति ज्यादा सजग रहना चाहिए। हमें
मरीजों की ‘केस हिस्ट्री’ को दर्ज करना चाहिए और इससे हमें दो.तीन वर्षों
में बहुमूल्य जानकारी मिल सकती है। यह संभव है कि आप में से कुछ लोग शोध
वैज्ञानिक बन जाएं।’’ एम्स के 40 प्रतिशत से अधिक डाक्टरों के काम के लिए
विदेश जाने की स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की टिप्पणी के संदर्भ में मोदी
ने कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि क्या उनके मन में देश को वापस कुछ
देने की बात आती है क्योंकि उन्हें तैयार करने में देश के बजट के विभिन्न
क्षेत्र से खर्चा किया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ''यह आपके पठन पाठन
का अंत नहीं है बल्कि अब आप कक्षा के बंद कमरों में पढ़ाई के दायरे से बाहर
निकलकर ‘खुली कक्षा’ में जा रहे हैं। आपको अपने अंदर के छात्र की भावना को
जीवित रखना चाहिए ताकि आप अपने पेशे में ऊंचाइयों पर पहुंच सके।’’
उन्होंने कहा कि कई लोगों और समाज के वर्गों ने कुछ न कुछ किया है और कुछ
बलिदान दिया है तब जाकर वे डॉक्टर बन सके हैं। प्रधानमंत्री ने डॉक्टरों से
अपने पेशे में आगे बढ़ते हुए इस बात को ध्यान में रखने को कहा। मोदी ने
कहा, ''आपको (डॉक्टरों) मरीजों के साथ इस भावना से काम करना चाहिए कि
मरीजों का आप पर हक है। मुझे उम्मीद है कि समाज को आपके काम का लाभ मिलेगा
और स्वस्थ भारत का सपना हासिल किया जा सकेगा।’’