'आप' में योगेंद्र यादव का कद घटाने की तैयारी
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने पार्टी चीफ और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति को नए सिरे से गठित करने का अधिकार दे दिया है। इस बात की पूरी संभावना है कि पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) जब नए सिरे से बनेगी तो योगेंद्र यादव की छुट्टी हो जाएगी।
पार्टी के नेताओं का कहना है कि जब से योगेंद्र यादव ने केजरीवाल की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाते हुए पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र न होने को लेकर चिट्ठी लिखी है, तब से उनके और कुछ सीनियर नेताओं में वैसे रिश्ते नहीं रहे।
दिल्ली चुनाव में एकतरफा जीत के बाद पहली बार 'आप' की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक गुरुवार को हुई। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी के एक गुट और योगेंद्र यादव के बीच गर्मागर्म बहस हुई। योगेंद्र यादव के विरोधियों ने दिल्ली चुनाव में उनकी भूमिका को लेकर सवाल उठाए। पार्टी के एक सीनियर नेता ने कहा, 'कुछ सदस्यों को लगता है कि उन्होंने उम्मीदवारों के चयन को लेकर बेवजह की निंदा की थी और दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने को लेकर मीडिया में बयान दिया था।'
सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दूसरी बैठक में शुक्रवार को योगेंद्र यादव को नहीं बुलाया गया। इसी मीटिंग में केजरीवाल को पीएसी को फिर से गठित करने के लिए अधिकार देने का प्रस्ताव लाया गया। जब योगेंद्र यादव से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'पार्टी के अंदरूनी मामलों को लेकर मैं मीडिया में टिप्पणी नहीं करता हूं।' हालांकि, दूसरे नेताओं ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र और दिल्ली चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के आचारण को लेकर चर्चा हुई।
सूत्रों ने बताया कि गुरुवार सुबह राष्ट्रीय कार्यकारिणी में केजरीवाल नहीं आए और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक का पद छोड़ने का प्रस्ताव भिजवा दिया। इसको लेकर अफरा-तफरी मच गई और कार्यकारिणी ने उनके इस्तीफे के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। बाद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कुछ सदस्य केजरीवाल से मिलने गए और इस्तीफा न स्वीकार करने की बात उन्हें बताई। शुक्रवार को सदस्यों की मीटिंग दोबारा हुई और केजरीवाल को पीएसी पुनर्गठित करने का अधिकार देने का प्रस्ताव पारित किया।
(IMNB)