सरकार बिना किसानों की सहमति के जमीन लेना चाहती है: आठवले
मुंबई। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख रामदास आठवले ने कहा है कि भले ही भूमि अधिग्रहण के मसले पर विपक्ष बिखरा हुआ दिखाई देता हो, लेकिन सरकार बिना किसानों की सहमति के एक इंच जमीन नहीं ले सकती है।
राज्यसभा के सदस्य आठवले ने कहा कि यहां तक कि किसानों की सहमति शर्त हो, लेकिन सरकार द्वारा किसानों को अधिग्रहण की सूचना देने से पहले ही उनकी सहमति लेना महत्वपूर्ण है।
किसानों की जान की कीमत पर विकास नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अगर किसानों से ली गई जमीन का तीन साल के अंदर उपयोग नहीं किया गया, तो उन्हें जमीन लौटा दी जाएगी। यह किसानों के हित में किया जाने वाला महत्वपूर्ण कार्य होगा।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते लोकसभा में भूमि अधिग्रहण बिल पास हो गया है और राज्यसभा में इसे पारित करना शेष है, जहां केंद्र सरकार के पास बहुमत नहीं है। साथ ही आठवले ने चेतावनी दी है कि अगर 14 अप्रैल तक इंदु मिल की जमीन में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की याद में स्मारक नहीं बनाया गया तो पूरे राज्य में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए जाएंगे। इंदु मिल में भूमि पूजन की तिथि 14 अप्रैल तय की गई है।
प्रधानमंत्री और केंद्रीय कपडा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि इस जमीन के हस्तांतरण संबंधी कागजी कार्रवाई इस तिथि से पहले पूरी कर ली जाएगी। स्मारक का निर्माण तीन वर्षो के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर भूमि पूजन तय तिथि को नहीं हुआ, तो हम पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करेंगे। अल्पसंख्यकों के आरक्षण संबंधी मुद्दे पर आठवले ने कहा कि आर्थिक रूप से विपन्न उच्च जाति के हिंदुओं को भी आरक्षण देना चाहिए। साथ ही वह बोले कि मुसलमानों को भी आरक्षण देना चाहिए। मेट्रो-3 प्रोजेक्ट पर आठवले ने बयान दिया है कि जनता इसका स्वागत करेगी, बशर्ते इससे प्रभावित लोगों को सरकार उनके घरों के पास उचित आवास मुहैया कराए।
(IMNB)