यूरोपीय संघ के सांसदों से नहीं मिले नाराज मोदी और सुषमा
नई दिल्ली। भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच अगले महीने शिखर वार्ता नहीं हो पाने पर यूरोपीय सांसदों ने गहरी निराशा जाहिर की है। भारत के प्रस्ताव पर यूरोपीय संघ की ओर से समय रहते फैसला नहीं ले पाने पर खेद जताते हुए ईयू के सांसदों ने उम्मीद जताई है कि शिखर सम्मेलन की अगली तारीख जल्द ही तय की जाएगी।
भारत ने भी इस सम्मेलन के न हो पाने पर सांकेतिक नाराजगी दिखाते हुए यहां आए यूरोपीय सांसदों के आला स्तर के एक प्रतिनिधिमंडल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ बैठकें नहीं रखीं।
यूरोपीय सांसदों की टीम के प्रमुख ज्योफ्री वान ओर्डन की कैबिनेट मंत्री वेंकैया नायडू के साथ मुलाकात के अलावा विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह से मुलाकात तो हुई, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री की व्यस्तता की वजह बताते हुए मुलाकात का वक्त नहीं दिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने फ्रांस और जर्मनी की यात्रा पर जा रहे हैं। भारत ने उनकी यात्रा के दौरान ही अप्रैल के दूसरे हफ्ते में भारत-ईयू शिखर सम्मेलन को लेकर सुझाव भी दिए थे। सूत्रों का कहना है कि यूरोपीय संघ की ओर से भारतीय प्रस्ताव के बारे में जवाब नहीं आने पर सरकार ब्रुसेल्स को यात्रा कार्यक्रम से हटाकर आगे बढ़ गई। भारत के सुझाव पर इस असामान्य प्रतिक्रिया को लेकर औपचारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है। कहा जा रहा है कि यह यूरोपीय संघ का आंतरिक मामला है।
ओर्डन के मुताबिक, भारत के साथ शिखर वार्ता को जानबूझकर रद्द नहीं किया गया है। इसके लिए एक तारीख पर चर्चा की जा रही थी लेकिन यह देखा गया कि जिन दिनों पीएम मोदी यूरोप का दौरा करने वाले हैं, उस बीच यह मुमकिन नहीं था। अगले महीने के मध्य में पीएम मोदी का फ्रांस और जर्मनी जाने का कार्यक्रम है। भारत की ओर से प्रस्ताव रखा गया कि 3 साल से रुकी पड़ी शिखर बैठक का आयोजन उनके यूरोप दौरे में हो सकता है, लेकिन ईयू की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
28 यूरोपीय देशों के संगठन ईयू के साथ भारत की सामरिक साझेदारी का रिश्ता विकसित हो चुका है और पिछले एक दशक से दोनों वार्षिक शिखर सम्मेलन करते रहे हैं। लेकिन दोनों पक्षों के बीच पिछले 3 वर्षों से कोई समिट नहीं हो सकी है। इसकी वजह भारत और इटली के बीच मरीन के मसलों को लेकर चल रहे मौजूदा विवाद को बताया जा रहा है। यूरोपीय सांसद नीना गिल ने कहा कि यूरोप के एक देश और भारत के द्विपक्षीय रिश्तों का असर पूरे ईयू के साथ नहीं पड़ने देना चाहिए। समिट नहीं हो पाने की वजह से दोनों के बीच फ्री ट्रेड अग्रीमेंट का मसला लटका हुआ है।
(IMNB)