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जनगणना से सामने आया बहुविवाह का सच

नई दिल्ली. हाल ही में जारी हुए जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि भारत में 29.3 करोड़ शादीशुदा महिलाएं और 28.7 करोड़ विवाहित पुरुष हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि देश में पुरुषों के साथ वैवाहिक जीवन बिता रहीं महिलाओं की संख्या 66 लाख ज्यादा है।
2011 की जनगणना से संबंधित आंकड़े यह भी बताते हैं कि बीते 10 सालों में 15 वर्ष से कम उम्र की 18 लाख लड़कियां ब्याही गईं। इस आंकड़े का एक पक्ष उन पुरुषों से भी जुड़ा हो सकता है जो अपनी पत्नियों को छोड़कर कमाने के लिए विदेश चले गए। साथ ही, इन आंकड़ों से पता चलता है कि महिलाओं की एक बड़ी संख्या बहुविवाह जीवन में हैं। जनगणना के वक्त देश की 120 करोड़ की आबादी में से 58 करोड़ लोग विवाहित थे। इन आंकड़ों में तलाकशुदा, विधवा या अलग हो चुकी जनसंख्या शामिल नहीं है। इन 58 करोड़ लोगों में से 29.3 करोड़ महिलाएं थी, जबकि 28.7 करोड़ पुरुष थे। विवाहित पुरुषों और महिलाओं की राज्यवार तुलना करने पर इसमें माइग्रेशन इफेक्ट भी दिखाई देता है। उदाहरण के तौर पर, इसमें केरल का झुकाव सबसे ज्यादा है। यहां हर एक शादीशुदा पुरुष के ऊपर 1.13 विवाहित महिला का अनुपात है। इसी का अनुसरण उत्तराखंड, हिमाचल, यूपी और बिहार जैसे राज्य भी कर रहे हैं, जहां यह अनुपात 1.04 से 1.07 के बीच है। यह ऐसे राज्य हैं जहां से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बाहर कमाने के लिए जाते हैं। वहीं, दूसरी तरफ, महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों में महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा विवाहित पुरुष हैं। इन राज्यों में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर रोजगार की तलाश में आते हैं। पुरुष-महिला आंकड़ों का एक और रूप, दो विपरीत लिंग वालों का अलग-अलग आयु वर्ग में विवाह करने से भी सामने आया है। 20-24 की उम्र के बीच 69 पर्सेंट लड़कियों की शादी हुई जबकि लड़कों में इसी उम्र में 30 पर्सेंट शादी हुई। पुरुष और महिला के बीच वैवाहिक आयु वर्ग में अंतर 24 साल की उम्र के बाद समान रूप से धीरे-धीरे घटना शुरू हो जाता है।

(IMNB)