मसरत पर संसद में फंसी सरकार, विपक्ष को चाहिए मोदी से जवाब
नई दिल्ली। सप्ताह के पहले ही दिन संसद की कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई। जम्मू-कश्मीर में मुफ्ती मोहम्मद सईद सरकार द्वारा अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई को लेकर लोकसभा में कांग्रेस के सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया।
कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के सदस्यों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था, जिसे स्पीकर सुमित्रा महाजन ने नामंजूर कर दिया। उन्होंने कहा कि नोटिस देने वाले सदस्यों को इस मसले पर बोलने दिया जाएगा, लेकिन प्रश्नकाल चलने दें।
सरकार की ओर से इसका जवाब देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि रिहाई से पहले हमसे कोई संपर्क नहीं किया गया था और गृहमंत्री इस पर सदन में बयान देंगे। लेकिन, विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग को लेकर अड़ा हुआ है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह 12 बजे लोकसभा में इस मुद्दे पर बयान देंगे। विपक्षी सदस्यों के हंगामे की बीच लोकसभा की कार्यवाही 10 मिनट के भीतर ही स्थगति हो गई। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की सरकार है, ऐसे में केंद्र सरकार की सहमति के बिना मसरत को रिहा नहीं किया जा सकता है।
राज्यसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए सत्ता पक्ष के नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि हमारी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा, 'जहां तक एक शख्स की रिहाई को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, तो केंद्र सरकार ने इस बारे में जम्मू-कश्मीर सरकार से रिपोर्ट मांगी है। प्रारंभिक रिपोर्ट आई है और इस बारे में गृहमंत्री सदन में बयान देंगे।'
सरकार को भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर भी आज सदन के भीतर मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। लोकसभा में भूमि अधिग्रहण (संशोधन) विधेयक पर आज चर्चा शुरू होने से पहले कांग्रेस ने अपना रुख सख्त कर लिया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पार्टी यूपीए सरकार द्वारा पारित किए गए विधेयक में किसी भी बदलाव को मंजूर नहीं करेगी।
विपक्ष के संभावित हमलों से निपटने की रणनीति बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले अपने सीनियर मंत्रियों अरुण जेटली, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और वेंकैया नायडू के साथ बैठक की। सरकार मसरत आलम की रिहाई के लिए न्यायिक प्रक्रिया को जिम्मेदार ठहराने के विकल्प पर विचार कर रही है। हालांकि, सरकार के सूत्रों ने माना कि एक अलगाववादी नेता को रिहा करने के फैसले का संसद में बचाव करना मुश्किल होगा।
बीजेपी के लिए मुश्किल यह भी है कि वह इस नेता को रिहा करने में शामिल नजर आ रही है, जबकि सैद्धांतिक तौर पर वह पूरी तरह से इस तरह के रवैये के खिलाफ है। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'हमारे लिए काफी मुश्किल स्थिति है, क्योंकि मसरत 2010 में भारत विरोधी आंदोलन में शामिल था, जिसमें 112 लोग मारे गए थे।' मसरत अक्टूबर 2010 से लोक सुरक्षा कानून के तहत जेल में था।
(IMNB)