मंजूनाथ के 6 हत्यारों की उम्रकैद बरकरार
नई दिल्ली। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) के सेल्स मैनेजर एस मंजूनाथ की हत्या में शामिल छह लोगों को उम्रकैद की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। मंजूनाथ ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में तेल में चल रहे मिलावट के खेल का भंडाफोड़ किया था। इस रैकेट में शामिल लोगों ने 19 नवंबर 2005 को मंजूनाथ की हत्या कर दी थी।
जस्टिस रंजन गोगोई और एनवी रमण ने दोषियों द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्ष 2009 के फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में मंजूनाथ की हत्या के लिए छह लोगों को दोषी करार दिया था, जबकि दो को बरी कर दिया था।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), लखनऊ से पास आउट 27 वर्षीय मंजूनाथ की हत्या उस समय कर दी गई थी, जब वह इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी पवन कुमार उर्फ मोनू मितल के पेट्रोल पंप पर मिलावट का पता लगाने के लिए तेल का सैंपल लेने गए थे। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, तेल में मिलावट की वजह से मंजूनाथ ने पवन कुमार को उनके पेट्रोल पंप का लाइसेंस कैंसल करने की धमकी दी थी। इसकी वजह से उसने अन्य लोगों के साथ मिलकर पवन ने मंजूनाथ की हत्या कर दी थी। गोली लगा मंजूनाथ का शरीर पड़ोसे के सीतापुर जिले में अगले दिन मिला था।
ईमानदार अधिकारी की हत्या के बाद उस समय जनता ने काफी तीखी प्रतिक्रिया दी थी और उसके बाद केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। ट्रायल कोर्ट ने हत्या को पूर्व नियोजित साजिश बताते हुए साल 2007 में सभी आठों आरोपियों को दोषी ठहराया था। पवन कुमार को फांसी और बाकी सात को आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2009 8 में से छह की दोषसिद्धि को सही ठहराया था, लेकिन बाकी दो राजीव अवस्थी और हरीश मिश्रा को बरी कर दिया था। इसके अलावा हाई कोर्ट ने पवन कुमार के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदल दिया था। बाकी पांच आरोपियों देवेश अग्निहोत्री, राकेश आनंद, विवेक शर्मा, शिवेश गिरी और राजेश शर्मा की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी गई थी।
(IMNB)