ग्रीनपीस NGO ने तोड़ा कानून, डॉक्युमेंट्री के लिए किया ड्रोन का इस्तेमाल
नई दिल्ली। होम मिनिस्ट्री के डोजियर में एनजीओ 'ग्रीनपीस इंडिया' की ऐक्टिविटी का हैरान कर देने वाला सच सामने आया है। एनजीओ ने मध्य प्रदेश में 'महान कोल प्रॉजेक्ट' के विस्थापितों पर डॉक्युमेंट्री बनाने के लिए कथित रूप से यूके के 'चैनल-4' को जुलाई 2014 में आमंत्रित किया और कानून को तोड़ते हुए महान के जंगलों में ड्रोन का इस्तेमाल किया।
मध्य प्रदेश पुलिस ने 29 जुलाई 2014 के दिन सिंगरौली जिले के अमेलिया गांव में ग्रीनपीस इंडिया के ऑफिस से 700 विडियो क्लिप को सीज किया था। इन विडियो की जांच में सामने आया कि डॉक्युमेंट्री के लिए न सिर्फ ड्रोन का इस्तेमाल किया गया बल्कि इसमें कैमरे भी एचडी क्वॉलिटी के लगाए गए थे। ये ड्रोन महान के जंगलों में दूर तक उड़ने की क्षमता रखते थे। भारत में नियमों के मुताबिक, ड्रोन को सिर्फ रक्षा मंत्रालय की अनुमति से ही उड़ाने की इजाजत है।
'MHA इंस्पेक्शन ऑफ ग्रीनपीस इंडिया सोसायटी' टाइटल वाले इस डोजियर के मुताबिक, दो ब्रिटिश जर्नलिस्ट, कृष्णन गुरू मूर्ति (भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक) और ह्यूगो वार्ड (एक ब्रिटिश नागरिक) 'चैनल-4' की डॉक्युमेंट्री को शूट करने के लिए बीते साल 21 जुलाई को भारत आए थे। इस डॉक्युमेंट्री का उद्देश्य विकास के नाम पर क्षेत्र में विस्थापन की दयनीय हालात और आदिवासी/ग्रामीण लोगों की जीविका के नुकसान को दिखाना था।
दोनों ही ब्रिटिश जर्नलिस्ट्स की एयर टिकट ग्रीनपीस इंटरनैशनल ने अपने नीदरलैंड्स के आधिकारिक बुकिंग एजेंट से खरीदे थे। वहीं, भारत के अंदर उनकी ट्रैवलिंग के एयर टिकट ग्रीनपीस इंडिया ने खरीदे।
29 जुलाई 2014 को, एमपी पुलिस ने अमेलिया गांव में ग्रीनपीस इंडिया के ऑफिस पर रेड मारकर कम्युनिकेशन के कई सामान जब्त किए थे जिसमें एरियल ऐंटीना, सोलर बैटरी, बूस्टर, मोबाइल, इत्यादि शामिल थे। पुलिस को शक है कि जब्त किए गए उपकरणों का इस्तेमाल ग्रीनपीस ऐक्टिविस्ट्स ने उन प्रतिबंधित रेडियो फ्रिक्वेंसीज पर किया जो सिर्फ सिक्यॉरिटी एजेंसीज के लिए निर्धारित होती हैं। पुलिस ने इस पर कार्रवाई करते हुए IPC की कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की और तीन ग्रीनपीस ऐक्टिविस्ट्स को गिरफ्तार भी किया।
हालांकि, ग्रीनपीस ने कड़े शब्दों में एक प्रेस रिलीज जारी कर इसका जवाब दिया, जिसमें पुलिस के कथित अत्याचार के विजुअल्स भी वेबसाइट पर दिखाए गए लेकिन उसने 'चैनल-4' के जर्नलिस्ट्स के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई का कोई जिक्र नहीं किया।
ग्रीनपीस इंडिया के खिलाफ एक चार्जशीट में, होम मिनिस्ट्री ने बताया कि एनजीओ का अकाउंट बेहद ही गैर-पेशेवर ढंग से मैनेज किया जा रहा था जिसमें एफसीआरए प्रविजन और नियमों को पूरी तरह से तोड़ा जा रहा था। होम मिनिस्ट्री ने एनजीओ 'ग्रीनपीस इंडिया' के 7 बैंक अकाउंट्स को सीज कर दिया है । साथ ही एनजीओ के लाइसेंस को 6 महीने के लिए सस्पेंड करते हुए उसको मिलने वाले विदेशी अनुदान पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।
डोजियर में MHA ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के उन आरोपों को भी दोहराया है जिसमें ग्रीनपीस इंटरनैशनल द्वारा ग्रीनपीस इंडिया के आंदोलनों को मदद पहुंचाने की बात कही गई थी। ग्रीनपीस इंटरनैशनल यह काम दर्जन भर विदेशी ऐक्टिवस्ट्स के माध्यम से (वीजा नियमों को तोड़कर) कर रहा था जो ग्राउंड लेवल पर अपने भारतीय समकक्षों को विरोध पैदा करने की ट्रेनिंग और गाइडेंस दे रहे थे।
होम मिनिस्ट्री ने याद दिलाया है कि कैसे कोयला पैदा करने वाले क्षेत्र में आंदोलन को मजबूत करने के लिए ग्रीनपीस के विदेशी और भारतीय ऐक्टिविस्ट्स तुर्की में जुलाई 2012 में हुए ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में बनाई गई योजना पर काम कर रहे थे।
(IMNB)