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सियासी कमबैक के लिए दिखा राहुल का नया अंदाज

नई दिल्ली 20 अप्रैल 2015 . आम चुनावों में करारी हार के तकरीबन नौ महीने बाद आत्मचिंतन और मंथन के लिए दो महीने लंबी छुट्टी पर गए राहुल गांधी जब किसान रैली को संबोधित करने आए, तो उनमें थोड़ा बदलाव दिखा । मंच पर राहुल में एक नया आत्मविश्वास नजर आ रहा था। महज एक रैली और भाषण के आधार पर उनकी वापसी की उम्मीद रखना ठीक नहीं है, लेकिन अगर इसे शुरुआत मानें, तो देखने वाली बात होगी कि राहुल इसे कैसे आगे ले जाते हैं।
अपने 23 मिनट के भाषण में उन्होंने जहां एक ओर भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था में किसानों के योगदान व उनके दर्द का खाका खींचा, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। राहुल के प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला बोलने के पीछे तर्क यह भी दिया जा रहा है कि अभी तक मोदी के सामने राहुल को बराबरी का टक्कर देने वाला नेता नहीं माना जा रहा था, लेकिन रविवार को अपनी भाव-भंगिमा, बॉडी लैंग्वेज से वह खुद को एक दावेदार के बतौर पेश करने की कोशिश में दिखे। राहुल अपने अंदाज से श्रोताओं पर असर छोड़ते दिखे। अपने भाषण में किसानों के महत्व व योगदान को रेखांकित करते हुए उनके दर्द की बात व्यापक रूप में की, वहीं मोदी सरकार की कथित किसान विरोधी नीतियों का सिलसिलेवार ढंग से विरोध भी किया। राहुल मंच पर सारे सीनियर नेताओं को पूरा सम्मान देते हुए उन्हें आगे जाने का रास्ता देकर संगठन में सीनियर वर्सेस जूनियर के विवाद को दरकिनार करते भी दिखे। राहुल का लुक भी थोड़ा अलग था। बढ़े घुंघराले बालों की जगह वह क्रू कट बालों में दिखे। कुर्ते की बांहें चढ़ाने का चिर-परिचित अंदाज गायब था। पूरे भाषण में आत्मविश्वास दिखा। मुद्दों को जोरदार ढंग से पूरी तार्किकता के साथ रखा और बेवजह की आक्रामकता दिखाने से परहेज किया। राहुल ने किसानों के हक में लड़ाई जारी रखने की बात की। उन्होंने संकेत दिया कि जिस तरह से भट्टा पारसौल व नियामगिरी में किसानों और आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ी, उसे आगे भी जारी रखेंगे। उन्होंने इस लड़ाई को देश के गांव-गांव तक ले जाने की अपील भी की।

(IMNB)