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किसानों को इनकम की गारंटी की योजना पर बढ़े सरकार के कदम

नई दिल्ली 23 अप्रैल 2015. देश में किसानों से जुड़े मौजूदा संकट को देखते हुए होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह प्रस्तावित नैशनल क्रॉप इनकम इंश्योरेंस स्कीम (एनसीआईआईएस) को जल्द शुरू करना चाहते हैं। इस स्कीम का प्रस्ताव 2003 में रखा गया था, जब सिंह कृषि मंत्री हुआ करते थे। बताया जा रहा है कि किसानों के मुद्दे पर सिंह मंत्रियों के एक अनौपचारिक ग्रुप की अध्यक्षता कर रहे हैं। उन्होंने बुधवार को कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान और कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की ताकि प्रस्तावित बीमा स्कीम की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा सके।
होम मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने ईटी को बताया, 'स्कीम को जल्द लागू करने के लिए इसके ब्योरे को फाइनल टच दिया जा रहा है।' बतौर होम मिनिस्टर सिंह की इस स्कीम में दिलचस्पी की वजह यह है कि उन्होंने ही अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के मंत्री के रूप में 2003 में इसका प्रस्ताव पेश किया था। उस वक्त इसके पायलट प्रॉजेक्ट भी चले थे। अधिकारी ने कहा, 'हालांकि 2004 में यूपीए सरकार ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।' मोदी सरकार की ओर से पिछले साल घोषित प्रस्तावित इंश्योरेंस प्रॉजेक्ट के तहत कीमतों में उतार-चढ़ाव के दौरान इनकम की गारंटी (नुकसान का अधिकतम 20% भुगतान) देने की बात है। साथ ही, सूखा या बेमौसम बारिश सहित कुदरती आपदा के चलते उपज को नुकसान पहुंचने पर भी इनकम की गारंटी (नुकसान का 50-70%) की बात है। इसके तहत सभी दूसरे मौजूदा नैशनल इंश्योरेंस प्रोग्राम्स को लाने का इरादा भी है। सरकार हालात से निपट लेगी इस साल मॉनसून के औसत से नीचे रहने की आशंका को देखते हुए सरकार ने बुधवार को कहा कि बारिश में हो सकने वाली किसी भी कमी से फसलों पर पड़ने वाले असर को कम से कम रखने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, 'सामान्य मॉनसून में किसी भी बदलाव से निपटने में हम सक्षम हैं। पिछले साल जब 12 पर्सेंट कम बारिश हुई थी तो हमने उस स्थिति को संभाला था। इस साल भी हम हालात से बेहतर ढंग से निपट लेंगे।' सिंह कम बारिश की हालत में किसानों के हितों की रक्षा के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। भारतीय मौसम विभाग ने अपने पहले अनुमान में बुधवार को कहा कि साउथ-वेस्ट मॉनसून के लगातार दूसरे साल सामान्य से कमजोर रहने की आशंका है। विभाग ने कहा कि अलनिन्यो इफेक्ट के कारण ऐसा हो सकता है। विभाग ने कहा कि उत्तर पश्चिम और मध्य भारत के कुछ इलाकों पर कम बारिश की सबसे ज्यादा मार पड़ने का डर है। मॉनसूनी बारिश का महत्व इस तथ्य से समझा जा सकता है कि देश में केवल 40 पर्सेंट खेत ही सिंचाई सुविधा से जुड़े हुए हैं। बाकी हिस्से बारिश के सहारे हैं।

(IMNB)