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सलमान खान को तुरंत जमानत से लीगल एक्सपर्ट भी हैरान

मुंबई 09 मई 2015. अपनी फिल्मों में अविश्वसनीय कारनामे करने वाले बॉलिवुड ऐक्टर सलमान खान ने असल जीवन में भी ऐसा ही कुछ किया है। उन्हें हिट ऐंड रन केस में मिली जमानत पर अलग-अलग तरह के विचार सामने आ रहे हैं। एक ओर तो वह शायद पहले ऐसे शख्स होंगे, जिन्हें शराब पीकर ऐक्सिडेंट करने के मामले में 5 साल की सजा सुनाई गई हो। दूसरी ओर संभवतः वह पहले ऐसे शख्स भी हैं, जो 5 साल की सजा मिलने के बावजूद एक मिनट के लिए भी जेल नहीं गए। सलमान को दो दिनों के अंदर दो बार जमानत मिलने से कानून के जानकार भी हैरान हैं।
आमतौर पर दो साल से ज्यादा की सजा के मामलों में कुछ समय तक जेल में गुजारने के बाद ही बेल मिलती है। सलमान खान को छोड़िए, तमिलनाडु की पूर्व सीएम जे जयललिता को 2014 में भ्रष्टाचार के मामले में 4 साल की सजा सुनाई गई थी। वह 21 दिनों बाद जमानत लेने में सफल रही थीं। बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला केस में कोर्ट से अपनी जमानत लेने में 80 दिन लग गए थे। मानवाधिकार मामलों के पूर्व सरकारी वकील वी कन्नडसन का कहना है कि इन दोनों मामलों के उलट सलमान खान ने 5 साल की सजा मिलने पर दो घंटों के भीतर दो दिनों की अंतरिम जमानत ली और दो दिनों बाद नियमित जमानत। हालांकि, उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट सात साल तक की सजा के मामलों में बिना नोटिस जारी किए जमानत दे सकती है। मोटर ऐक्सिडेंट केस के स्पेशलिस्ट वीएस सुरेश का कहना है कि तमिलनाडु पुलिस ने 2004 से शराब पीकर ऐक्सिडेंट करने वालों पर धारा 304 (2) लगानी शुरू की है। ऐसा भी सिर्फ चेन्नै सिटी में किया जाता है। यह गैर इरादतन हत्या की वही धारा है, जो सलमान खान पर लगाई गई है। हालांकि, उनका कहना है कि इस धारा के तहत पांच साल की सजा अप्रत्याशित है। ऑल इंडिया असोसिएशन ऑफ जूरिस्ट के नैशनल चेयरमैन एम एंटनी सेल्वाराज का कहना है कि इस मामले में दो मजेदार पहलू हैं। उनके मुताबिक पहला तो 1999 का संजीव नंदा का प्रसिद्ध हिट ऐंड रन केस है, जिसमें उसने छह लोगों को अपनी गाड़ी से कुचल दिया था। इसमें से तीन पुलिस वाले थे। इस केस का अंत संजीव नंदा को दो साल सजा के साथ हुआ था। दूसरा पहलू तरुण तेजपाल जैसे पत्रकार और सहारा ग्रुप के सुब्रत राय का है, जिन्होंने बिना किसी चार्जशीट, सुनवाई या सजा के भी लंबा समय जेल में गुजारा। सलमान को सजा होने पर भी उन्हें जेल नहीं जाना पड़ा। प्रमुख वकील जॉन सत्यन ने इस पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा, 'इस आदेश का क्या प्रभाव पड़ा ? सही हो या गलत, यह बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे तरजीह देने का उदाहरण बना दिया है।'

(IMNB)