Breaking News

एयरबस-टाटा कंसोर्टियम की 11,930 करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी मिली

नई दिल्ली 14 मई 2015. सरकार ने वायुसेना के पुराने हो चुके एवरो परिवहन विमान के बेड़े को बदलने के लिए एयरबस-टाटा कंसोर्टियम की ओर से लगाई गई 11,930 करोड़ रुपए की एकमात्र बोली को स्वीकृति दे दी है. इसके साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत कामोव केए-226टी हेलीकॉप्टरों के निर्माण के रूस के प्रस्ताव को भी हरी झंडी मिली है. रक्षा सूत्रों ने बताया कि रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में दो बोइंग 777-300 ईआर को वीवीआईपी यात्राओं के लिए इस्तेमाल करने को भी मंजूरी दी गई है.
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जिन दूसरे प्रमुख प्रस्तावों को मंजूरी मिली हैं उनमें भारतीय नौसेना के लिए 2,700 करोड़ रुपए की कीमत की छह नई ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली और अमेरिका से 145 एम-777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर की खरीद के प्रस्ताव शामिल हैं. डीएसी ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए कीमत और दूसरी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए एक समिति का गठन किया है. बैठक का सबसे अहम पहलू एयरबस-टाटा की बोली को दी गई मंजूरी है. इन दोनों कंपनियों ने संयुक्त रूप से वायुसेना के 56 एवरो परिवहन विमानों के स्थान पर सी-295 परिवहन विमानों के लिए बोली लगाई थी. कुल 40 विमानों का निर्माण यहां होगा और 16 की खरीद की जाएगी. इसको लेकर पिछले साल नवंबर में ही आखिरी फैसला किया जाना था लेकिन पर्रिकर ने उस वक्त विमान की जरूरत और बोली की प्रक्रिया को लेकर अधिक सूचना की मांग की थी. मौजूदा रक्षा खरीद नीति के तहत एकमात्र बोली लगाने वाले को तब तक तवज्जो नहीं दी जाती जब तक उसे डीएसी की मंजूरी नहीं मिलती. मई, 2013 में मंत्रालय ने अमेरिकी कंपनियों बोइंग और लॉकहीड मार्टिन, यूरोपीय बहुराष्ट्रीय कंपनी एयरबस डिफेंस तथा स्पेस एंड एंतोनोव सहित वास्तविक उपकरण निर्माण करने वाली इकाइयों को आग्रह प्रस्ताव (रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल) जारी किया था. उन्हें किसी एक भारतीय निजी कंपनी के साथ साझीदारी करनी थी. बहरहाल, एयरबस और टाटा ने साझेदारी के तहत आग्रह प्रस्ताव जवाब दिया. डीएसी ने सेना की ओर से बीएई के 145 एम-777 अल्ट्रा-लाइट खरीदने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है. सेना को नए तोपों की सख्त जरूरत है. वायुसेना के लिए 149 करोड़ रुपये की लागत पर एएलजी संचार टर्मिनल को भी मंजूरी दी गई है.

(IMNB)