रायपुर - कन्या शिक्षा परिसर को किया शर्मसार, आदिवासी छात्राओं के निवालों में भ्रष्टाचार
रायपुर 17 जुलाई 2015 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ के जिला राजनांदगांव की तहसील है अंबागढ़ चौकी, जो कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, अंबागढ़ चौकी में स्थित कन्या शिक्षा परिसर में अध्यनरत आदिवासी छात्राओं के भोजन में प्रबन्धन द्वारा डाका डाला जा रहा है, जिसका खामियाजा स्कूल की छात्राओं को भुगतना पड़ा है। कन्या शिक्षा परिसर में छात्राओं के लिए स्कूल के साथ छात्रावास की भी सुविधा है। मगर यहां की स्थिति दयनीय है और आदिवासी छात्रावास में भोजन व नाश्ते की उचित व्यवस्था नहीं है।
बताते चलें कि कन्या शिक्षा परिसर में 13 जुलाई 2015 सोमवार की सुबह एक के बाद एक, तीन छात्राएं बेहोश होकर गिर गई, बेहोश हुई छात्राओं में अनसुइया उम्र 16 वर्ष, ज्योति उम्र 14 वर्ष, परमेश्वरी उम्र 15 वर्ष हैं। जिनको पहले अंबागढ़ चौकी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया मगर सुविधाओं के अभाव के कारण तत्काल राजनांदगांव हॉस्पिटल में रिफर किया गया। हैरानी वाली बात है कि अम्बागढ़ चौकी में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सुविधाओं का टोटा है, न ही कोई दवाएं थी और न ही कोई डाक्टर मौजूद था, मात्र एक कम्पाउंडर के भरोसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित किया जा रहा है। पता चला कि यह कोई नई बात नहीं है ऐसा तो पिछले कई वर्षों से चलता आ रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह बूचड़खाने में तब्दील हो चुका है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बेहोश हुई छात्राओं को इलाज के लिए कई घंटे भर्ती रहने के बावजूद भी समुचित इलाज नहीं मिल पाया, जिससे छात्राओं की उचित चिकित्सा के मद्देनजर राजनांदगांव जिला अस्पताल रिफर कर दिया, जहां पर छात्राओं की स्थिति में सुधार हुआ व उन्हें होश आया। घटना की सूचना मिलने पर राजनांदगांव के एसडीएम बंसल कन्या छात्रावास की छात्राओं का हालचाल जानने अस्पताल पहुंचे तो शासकीय कर्मचारियों ने वही पुराना ढर्रा जारी रखा और छात्राओं का इलाज छोड़ एसडीएम के आगे पीछे लग गए। बाद में एसडीएम बंसल कन्या परिसर में जांच करने पहुंचे मगर उन्होंने वास्तविकता जानने की बजाए मात्र अधिकारियों व अधीक्षिका से भेंट की और चलते बने। उन्होंने बच्चों से बात करना तक उचित नहीं समझा और न ही बेहोश हुई छात्राओं से ही पूछताछ करने की जहमत उठाई। जबकि एसडीएम बंसल यदि हकीकत जानने के लिए बच्चों से बात करते कि कन्या शिक्षा परिसर (स्कूल व छात्रावास) में क्या परेशानियां हैं और किस कारणवश छात्राएं बेहोश हो गई, तो यकीनन सारा सच सामने आ जाता। मगर ऐसा कुछ भी नहीं किया गया, इससे क्या परिणाम निकाला जा सकता है?
राजनांदगांव के संवाददाता हरदीप छाबड़ा ने जब स्कूली बच्चों से बात की तो सारी असलियत खुलकर सामने आ गई। स्कूली बच्चों ने अपनी पीड़ा संवाददाता को बताई जिसे सुनकर समझ आया कि कैसे कन्या शिक्षा परिसर (स्कूल व छात्रावास) का प्रबंधन व कर्मचारी इन बच्चों के खाने में भी सेंध लगा रहे हैं। कन्या शिक्षा परिसर, अंबागढ़ चौकी की बेहोश हुई छात्राओं ने भी संवाददाता को बताया कि स्कूल में भोजन की परेशानी रहती है, सुबह नाश्ता तक नहीं मिलता है। खाद्य पदार्थों में भी गुणवत्ता का अभाव रहता है। कई बार खाना कम पड़ जाता है। परिसर में कार्यरत कर्मचारियों ने मनमानी व ढुलमुल रव्वैया अपनाया हुआ है। दिए गए मेनू के हिसाब से शायद ही कभी भोजन दिया जाता है। सुबह चाय या दूध और न ही नाश्ता दिया जाता है। सीधे अपराह्न 12 बजे खाना दिया जाता है, खाना देने के बाद नाश्ते के लिए बोला जाता है सोचिए कि यह कैसी व्यवस्था है जिसमें खाने के बाद नाश्ता करने को कहा जाता है। चूंकि अधिकांश छात्राएं गरीब परिवार की है इसलिए वह इन अव्यवस्थाओं की बात किसी से भी नहीं कह पातीं हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं स्कूल प्रबंधन उनको बाहर न कर दें। गरीब और आदिवासी क्षेत्रों से आई छात्राओं की इन्हीं कमजोरी का फायदा परिसर प्रबंधन उठा रहा है और इन छात्राओं के पोषाहार में भ्रष्टाचार कर रहा है। इस घटना से कई बातें साफ़ होती है कि शासकीय विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार ने गरीब स्कूली बच्चों के खानों में भी लूटमारी की जा रही है और अधिकारियों की मिलीभगत से बजट की राशि में भ्रष्टाचार कर अपनी अपनी जेबों में भरी जा रही है। जहाँ एक ओर शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों को काफी हद तक संतुष्टिप्रद वेतन शासन प्रतिमाह देती है बावजूद इसके शासकीय अधिकारी व कर्मचारी मिलकर सरकारी योजनाओं के बजट की राशि का दुरूपयोग कर रहे हैं और सेंध लगा रहें है। शासकीय अधिकारी व कर्मचारी ही शासन की योजनाओं को पलीता लगा रहें हैं और ऐसे अमानवीय, अनैतिक व अवैधानिक कृत्य कर रहें हैं जो पूरे देश समेत समाज को शर्मसार कर रहा है। यह काफी दुखद व अफसोसजनक है और शर्मनाक भी मगर फिर भी शासन प्रशासन की नाक के नीचे गरीबों के भोजनों में डाका डाला जा रहा है और गरीब भूख से मर रहा है। इस प्रकार के भ्रष्टाचार बराबर सामने आ रहा है मगर सरकार इस पर लगाम लगाने में पूरी तरह असफल साबित हुई है। विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार, अंबागढ़ चौकी में स्थित कन्या शिक्षा परिसर में स्कूली छात्राओं के पोषाहार के लिए केन्द्र शासन व राज्य शासन द्वारा अलग अलग बजट दिया जाता है। चूंकि इस स्कूल में लगभग 750 छात्राएं, जिनमें अधिकांश आदिवासी छात्राएं अध्यनरत है। केन्द्रीय शासन द्वारा आदिवासियों छात्राओं के लिए बड़ा बजट दिया जाता है, तथा राज्य शासन द्वारा मिड डे मील योजना के तहत कक्षा 6वीं से 8वीं तक की छात्राओं के पोषाहार के लिए अलग से बजट दिया जाता है। बावजूद इसके अधीक्षिका श्रीमती सरोज ध्रुव बजट का अभाव बताकर गड़बड़ी पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहीं हैं। सोचने वाली बात है कि केंद्र सरकार द्वारा 750 आदिवासी स्कूली छात्राओं के पोषाहार के लिए दिये जा रहे बजट की राशि आखिर कहाँ जा रही है? और ऊपर से कक्षा 6वीं से 8वीं तक की छात्राओं के लिए मिड डे मील योजना के तहत पोषाहार के लिए अलग से राशि दी जाती है फिर भी स्कूल की अधीक्षिका श्रीमती सरोज ध्रुव बजट का अभाव बता रही हैं जोकि जांच का विषय है। शासन प्रशासन को अवश्य जांच करानी चाहिए ताकि स्कूली छात्राओं के पोषाहार में जो भी गड़बड़ियां की जा रही है उसका सच सबके सामने आ सके। केन्द्र सरकार द्वारा पोषाहार के लिए प्रति छात्रा, प्रतिमाह 700/- रूपए दिया जाता है। जिसमें दूध, गुणवत्तायुक्त पोषाहार, रोटी, चावल दिए जाने का नियम है। इसके तहत प्रतिमाह पांच लाख पच्चीस हजार रुपये (रू.5,25,000.00) का आवंटन दिया जाता है। इसके अलावा राज्य शासन द्वारा मिड डे मील योजना के तहत जो राशि प्राप्त होती है वो अलग है। कन्या शिक्षा परिसर (स्कूल व छात्रावास) अधीक्षिका श्रीमती सरोज ध्रुव से संवाददाता हरदीप छाबड़ा ने घटना से संबध में बातचीत की। उन्होंने बताया कि स्कूल में जितनी छात्राएं हैं उनकी दैनिक पोषाहार के मानक अनुपात के मुकाबले बजट कम दिया जाता है और कई बार बजट देर से दिया जाता है। इसी कारणवश बच्चों को नियमानुसार पूरा खाना नहीं खिला सकतें हैं और न ही नाश्ता करा सकते हैं। कम बजट से भोजन व नाश्ते की पूर्ति नहीं होने की सूचना ऊपर के अधिकारियों को दी गई है मगर उन्होंने अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया है। कन्या शिक्षा परिसर के प्राचार्य युगल किशोर तिवारी ने कहा कि, अभी एक माह ही हुआ है मुझे यहाँ पर आए हुए इसलिए जायज़ा लिया जा रहा है जल्द ही सभी असुविधाओं का निपटारा कर दिया जाएगा तथा जो भी कमियां होंगी उनका भी निराकरण किया जाएगा ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृति न होने पाए।