उज्जैन - महाकाल मंदिर में भस्म आरती के दौरान डूबा रहा आधा शिवलिंग
उज्जैन 21 जुलाई 2015 (महेश प्रताप सिंह). दिन-ब-दिन
हो रही मूसलाधार बारिश से
महाकाल की नगरी में जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका
है। मंगलवार तड़के जब महाकाल मंदिर प्रांगण में
भस्मारती के लिए गर्भगृह का दरवाजा खोला गया
तो पुजारी चौंक पड़े। गर्भगृह में चारों तरफ पानी ही
पानी भरा था और बाबा महाकाल जलमग्न थे।
मंदिर के पुजारियों के मुताबिक ऐसा इतिहास में
पहली बार हुआ है जब महाकाल की आरती भी पानी
में खड़े होकर की गई।
पुजारियों के मुताबिक ऐसा मंजर
उन्होंने पहले कभी नहीं देखा, जब महाकाल के गर्भगृह में
भी पानी पहुंच गया हो।बताते चलें कि
पिछले दिनों हुई बारिश से पूरे उज्जैन में हाहाकार मचा हुआ है, चारों ओर पानी ही पानी
नजर आता है। क्षिप्रा नदी का जलस्तर भी बढ़ा हुआ
है। ऐसे में मंगलवार सुबह महाकाल की भस्मारती के लिए
जब पट खुले तो महाकाल भी जलमग्न नजर आए।
महाकाल की सेवा में अपनी उम्र गुजार चुके पुजारियों
के लिए यह दृश्य आश्चर्यचकित करने वाला था। यह
बात लोगों तक फैलते देर नहीं लगी तुरंत ही पानी में डूबे
बाबा महाकाल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर
वायरल हो गईं। मगर जब पड़ताल की गई तो पता चला
कि महाकाल के गर्भगृह में घुसा पानी क्षिप्रा का
नहीं बल्कि मंदिर प्रांगण के तीनों ओर जमा हुआ
पानी था, जो कि कुछ वजह से बाहर नहीं निकल पा
रहा था और मंदिर के दीवारों से रिसता हुआ अंदर
भरता चला गया।
बाबा महाकाल के रात्रिशयन के समय गुलाब के फूलों
से श्रृंगार किया जाता है। मंगलवार सुबह जब पट खुला
तो बाबा ने अद्भूत जलमग्न स्वरूप में दिए दर्शन और
गर्भगृह में गुलाब की पंखुड़ियां तैरती नजर आईं।
मंदिर प्रांगण में ही मुख्य मंदिर के पीछे एक बड़ा सा
तालाब है, रुद्रसागर, जो कि इस बारिश में लबालब भर
गया है, कुछ लोगों का कहना है कि गर्भगृह में हुआ
जलभराव इस वजह से भी हो सकता है। महाकाल की भस्मारती हमेशा ब्रह्ममुहूर्त में ही होती
आई है, और इसे बदला नहीं जा सकता। इसी वजह से
मंगलवार सुबह जलमग्न महाकाल की आरती उतारी गई।
आरती के बाद गर्भगृह में भरा पानी मोटर की मदद से
निकाला गया।
उज्जैन के हाल-बेहाल
पिछले तीन दिनों से उज्जैन में लगातार हो रही
बारिश के बाद मंगलवार को भी उज्जैन का दृश्य बदला
हुआ नजर आया, कलेक्टर ने आज भी छुटृटी घोषित
कर दी है। दैनिक कार्य प्रभावित हो गए हैं। वहीं
लोगों के घरों में पानी भरा हुआ है। अब तक हुई बारिश
की वजह से आसपास लगे हुए इलाकों पर भी असर पडा
है। जिसकी वजह से गांधीसागर बांध का जलस्तर भी 6
फीट तक भर गया है। बताया जा रहा है कि यदि
बारिश का सिलसिला इसी तरह जारी रहा तो बांध
के गेट खोले जा सकते हैं। मध्यप्रदेश में क्षिप्रा और
नर्मदा नदियां भी तेज बारिश के चलते उफान पर हैं।