नई दिल्ली - रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में नहीं की कटौती
नई दिल्ली 04 अगस्त 2015 (IMNB). रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नीतिगत
दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है और फिलहाल रेपो रेट की दर 7.25 फीसद और
सीआरआर की दर 4 फीसद पर ही बनी रहेगी। आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन ने
मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए कहा कि आर्थिक सुस्ती के दौर से हम
धीरे-धीरे निकल रहे हैं, लेकिन मुद्रास्फिति (जिसमें खाद्य वस्तुएं और
फ्यूल शामिल नहीं है) की दर अभी भी चिंताजनक स्तर पर है। इसलिए फिलहाल
नीतिगत दरों में कमी नहीं की जा रही है।
आरबीआई ने साल 2015-16 के लिए
विकास दर के लक्ष्य को 7.6 फीसद पर अपरिवर्तित रखा है। राजन ने कहा है कि
जनवरी में ब्याज दरों में 0.75 फीसद की कमी के बावजूद अभी तक बैंकों ने
औसतन 0.3 फीसद ही ब्याज दरें घटाई हैं। उन्होंने सरकार द्वारा सार्वजनिक
क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने को लेकर कहा कि यह अच्छा कदम है और
इससे बैंकों को कर्ज वृद्धि में मदद मिलेगी। इसके अलावा वे ब्याज दरों में
भी कमी कर पाएंगे और लिक्विडिटी की समस्या से भी उबरने में उन्हें मदद
मिलेगी। आरबीआई की नजर बैंकों द्वारा ट्रांसमिशन पर बनी हुई है। इसके
अलावा महंगाई दर और सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार की पॉलिसी पर भी नजर है।
सरकारी खर्च, इकोनॉमी में बढ़ते निवेश और फेड के पॉलिसी एक्शन पर भी आगे की
पॉलिसी एक्शन निर्भर रहेगी। आरबीआई का कहना है कि जून में महंगाई दर
ज्यादा रही है, लेकिन जुलाई और अगस्त में महंगाई घटने की उम्मीद है। पिछले
साल महंगाई ज्यादा बढ़ने के कारण इस साल जुलाई और अगस्त में महंगाई दर कम
रहने की उम्मीद है। लेकिन सितंबर से बढ़े हुए बेस का फायदा घटेगा।
आरबीआई
के मुताबिक दलहन और तिलहन की कीमतों के बढ़ने से महंगाई बढ़ने का डर है।
हालांकि कच्चे तेल के घटते दाम और ज्यादा बुआई के चलते महंगाई पर दबाव घटने
की उम्मीद है। साथ ही बेहतर मॉनसून की उम्मीद और सरकारी नीतियों के चलते
भी महंगाई पर दबाव घट सकता है। आरबीआई ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी के
हालात में मामूली सुधार है और भारतीय इकोनॉमी में भी सुधार दिख रहा है।
वहीं खेतों में कटाई अच्छी होती है तो ग्रामीण इलाकों की मांग बढ़ सकती है,
तो शहरों में मांग बढ़ने के संकेत हैं। क्या है रेपो रेट और सीआरआर? रेपो
दर यानी जिस रेट पर बैंक अपनी फौरी जरूरत के लिए रिजर्व बैंक से कैश उधार
लेते हैं। यह रेट पहले अभी 7.25 फीसद है। कैश रिजर्व रेशो यानी सीआरआर वह
रकम जो बैंकों को रिजर्व बैंक के पास रखनी होती है। यह रेट 4 फीसद पर है। राजन ने बैंकों से कहा कि ब्याज दर कम करें आरबीआई
गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों ने इस वर्ष नीतिगत दरों में की गई
कटौतियों का पूरा फायदा ग्राहकों तक अभी नहीं पहुंचाया है। आरबीआई ने 2015
में अपनी रेपो दर में अब तक तीन बार 0.25-0.25 प्रतिशत की तक की तीन बार
कटौती की है।
बताते चलें कि रेपो दर वह दर है जिस पर वह बैंकों को फौरी जरूरत के लिए उधार
देता है। राजन ने कहा कि नीतिगत दर में जून में कमी पहले ही कर दी गई।
उन्होंने कहा कि इस समय मौद्रिक नीति में नरमी का रुख बरकरार रखते हुए
नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखना ही उचित है। राजन ने चालू वित्त वर्ष की
तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए यहां कहा कि आरबीआई यह
देख रहा है कि बैंक पहले दी गई ढील का फायदा और अधिक फायदा ग्राहकों तक कब
पहुंचाते हैं। गवर्नर ने कहा कि नीतिगत दरों में और नरमी की गुंजाइश के लिए
केंद्रीय बैंक उभरते अवसरों पर ध्यान रखेगा। आरबीआई की रपो दर 7.25
प्रतिशत पर बकरार है। इसी तरह रिजर्व बैंक के नियंत्रण में रखी जाने वाली
बैंकों की नकदी या आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) चार प्रतिशत पर बना रहेगा।