सीतापुर - छुपाया जा रहा है महमूदाबाद थाने में हुई युवती की मौत का सच
लखनऊ 18 अगस्त 2015
(शाहरुख़ खान). सीतापुर के महमूदाबाद थाना में युवती जीनत की मौत का सच छुपाया जा रहा है ,
जीनत की मौत दो बजे रात में हुई थी लेकिन पुलिस पूरे मामले को दबाने की कोशिश कर रही है । इस पूरे मामले की जांच
के लिए रिहाई मंच जांच दल ने 14 अगस्त को महमूदाबाद का दौरा किया जिससे इस केस में कुछ महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं।
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रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब ने मृतका जीनत के परिजनों, पुलिस महकमे के जिम्मेदारों, एसडीएम, घटना के बाद हुए प्रदर्शन में मारे गए युवक नदीम के परिजनों तथा आम लोगों से मुलाकात की। जीनत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने यह खुलासा किया कि जीनत की मौत रात को ढाई बजे के आस पास हुई थी, यह रिपोर्ट पुलिस की कहानी को पूरी तरह झूठ ही साबित नहीं करती है बल्कि इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका को भी संदेह के दायरे में ला देती है कि रात में हुई मौत को क्यों सुबह छह बजे हुई मौत बताया जा रहा है। इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद थाना प्रभारी को निलंबित न किया जाना और मृतका के पिता पर एफआईआर दर्ज न कराने का दबाव बनाना और कोतवाली में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाने वाले लोगों को उनके घरों से उठाकर जेल में डाल देना पूरे मामले में पुलिस को कटघरे में खड़ा कर देता है।
पुलिस की कहानी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आए अंतर्विरोध के बावजूद आरोपियों को अब तक निलंबित न किया जाना साबित करता है कि सरकार ऐसे पुलिस कर्मियों को सिर्फ बचा ही नहीं रही है बल्कि ऐसी और भी घटनाओं को आमंत्रित कर रही है। रिहाई मंच जांच दल के अनुसार ऐसी ही घटना लखीमपुर में सोनम हत्याकांड में रूप में सामने आई थी जिसमें जनता के दबाव में पूरे थाने को ही निलंबित करके सीबीआई जांच का आदेश दिया गया था। लेकिन यहां सरकार पुलिस को बचाने में लगी है। घटना के बाद हुए प्रदर्शन में नदीम पुलिस की गोली से मारा गया, लेकिन उसकी हत्या को प्रशासन यह कहकर प्रचारित करने में लगा है कि वह प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई फायरिंग में मारा गया।
पुलिस की कहानी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आए अंतर्विरोध के बावजूद आरोपियों को अब तक निलंबित न किया जाना साबित करता है कि सरकार ऐसे पुलिस कर्मियों को सिर्फ बचा ही नहीं रही है बल्कि ऐसी और भी घटनाओं को आमंत्रित कर रही है। रिहाई मंच जांच दल के अनुसार ऐसी ही घटना लखीमपुर में सोनम हत्याकांड में रूप में सामने आई थी जिसमें जनता के दबाव में पूरे थाने को ही निलंबित करके सीबीआई जांच का आदेश दिया गया था। लेकिन यहां सरकार पुलिस को बचाने में लगी है। घटना के बाद हुए प्रदर्शन में नदीम पुलिस की गोली से मारा गया, लेकिन उसकी हत्या को प्रशासन यह कहकर प्रचारित करने में लगा है कि वह प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई फायरिंग में मारा गया।