पटना - ‘बिहारी बाबू’ को झटका दे सकती है भाजपा
नई दिल्ली/पटना, 23 अगस्त 2015 (IMNB). भाजपा के वरिष्ठ नेता व सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की बिहार के मुख्यमंत्री व जद यू नेता नीतीश कुमार से नजदीकी से भाजपा नेतृत्व की दुविधा बढ़ने लगी है। पार्टी के प्रदेश के नेताओं को सिन्हा का रवैया बेहद नागवार गुजर रहा है।
उन्होंने सिन्हा को चुनाव अभियान में स्टार प्रचारकों से बाहर रखने के लिए केंद्रीय नेतृत्व पर दबाब बनाना शुरू कर दिया है।
हालांकि, पार्टी का एक वर्ग इस समय सिन्हा के खिलाफ किसी तरह का कड़ा कदम उठाने के पक्ष में नहीं है।
बिहार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को राजद व जद यू के साथ-साथ सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के बयानों से भी जूझना पड़ रहा है। पार्टी उनको जितना नजरंदाज करने की कोशिश कर रही है, उतना ही उनका हौसला बढ़ता जा रहा है। दरअसल, सिन्हा पार्टी में अपनी उपेक्षा से खफा हैं और वे भाजपा से ज्यादा नीतीश की तारीफ कर रहे हैं।
पार्टी ने भी उनको मनाने के बजाए, अपने हाल पर छोड़ दिया है। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश के कई नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व के सामने सिन्हा की शिकायत कर उन्हें चुनाव अभियान से दूर रखने का आग्रह किया है।
इन नेताओं को डर है कि वे पार्टी के मंच से भी नीतीश कुमार की तारीफ कर सकते हैं।
केंद्रीय नेतृत्व सिन्हा को लेकर गंभीर तो है, लेकिन चुनाव के समय कोई कार्रवाई करने के मूड में नहीं है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने संकेत दिए हैं कि सिन्हा को चालीस प्रमुख प्रचारकों की सूची में रखा जा सकता है, लेकिन उनके कार्यक्रम नाम मात्र के लिए ही लगाए जाएंगे। प्रदेश के नेता भले ही सिन्हा को प्रचारकों की सूची से बाहर रखने के लिए दबाब बना रहे हों, लेकिन पार्टी उनको बाहर रखकर ज्यादा बोलने का मौका नहीं देना चाहती है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों में भी शत्रुघन सिन्हा के बेहद कम कार्यक्रम तैयार किए गए थे। उन्होंने राजस्थान व एक-दो राज्यों में ही प्रचार किया था। उस समय ग्रामीण क्षेत्रों से उनकी मांग काफी रही थी, लेकिन उनके शहरी क्षेत्रों को वरीयता देने से पार्टी ने भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी। बिहारी बाबू के नाम से मशहूर सिन्हा बीते तीन दशकों से भाजपा के स्टार प्रचारक रहे हैं, लेकिन अब उनकी पूछ-परख कम है।