छत्तीसगढ़ - थाने में पत्रकार की बेरहमी से पिटाई, धरना प्रर्दशन के बाद हुयी निलंबन की कार्यवाई
छत्तीसगढ़ 12 सितम्बर 2015 (जावेद अख्तर). राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव थाने में पुलिसकर्मियों ने दैनिक हरिभूमि के पत्रकार की बेरहमी से पिटाई की। घटना के तत्काल बाद पुलिस अधीक्षक ने डोंगरगांव के पांच पुलिस कर्मियों चंद्र शर्मा, अनूप मिश्रा, परमेश्वर कौशिक, गणेश्वर साहू तथा राजकुमार को लाइन से अटैच कर दिया। परंतु अखिल भारतीय युवा पत्रकार संघ ने इसका विरोध किया जिसके चलते इनमें से चार को निलंबित कर दिया गया। मगर इस कार्रवाई को नाकाफी बताते हुए अखिल भारतीय युवा पत्रकार संघ ने एसपी से दोषी पुलिस कर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार डोंगरगांव थाने के थाना प्रभारी नितिन तिवारी डोंगरगांव थाने में पदस्थ पुलिसकर्मी अनुप मिश्रा, परमेश्वर साहू, गणेश्वर साहू, राजकुमार यादव, वीरेश चंद्र शर्मा, ने कानून का मजाक उड़ाते हुए थाने के भीतर ही पत्रकार एनिशपुरी गोस्वामी को बुरी तरह से चमड़े के बेल्ट से और बेंत से मारा, जिससे पत्रकार को इतनी अधिक चोटें आई कि उन्हें तत्काल राजनांदगांव जिला हॉस्पिटल रिफर किया गया अन्यथा उसकी मौत हो सकती थी। भर्ती के पश्चात उनके हालात में सुधार आया और वो बातचीत करने की अवस्था में आये। पत्रकार एनिशपुरी गोस्वामी ने खुलासा टीवी के पत्रकार जावेद अख्तर को पूरी घटना इस प्रकार बताई - पत्रकार एनिशपुरी गोस्वामी कल राजनांदगांव गए थे, वहां से अंबागढ़ चौकी वापस आते समय आरी कॉनरी के पास कुछ लोगों ने एनिश (पत्रकार) से 10,000 रूपये और 1 मोबाईल हैंडसेट छीन लिया था। जिसकी रिपोर्ट डोंगरगांव थाने में पीड़ित पत्रकार एनिशपुरी गोस्वामी करने गए थे। यह घटना मंगलवार की रात 11 बजे की हैं। एनिश जब थाने पहुंचे तो वहां मौजूद पांचों पुलिसकर्मियों मौजूद थे, पीड़ित पत्रकार ने अपने साथ हुए घटना की जानकारी दी मगर पुलिसकर्मी ने उल्टा पत्रकार को यह कहा कि इस थाने में झूठी रिपोर्ट दर्ज नहीं होगी।
इस बात से एनिश ने पुलिस वालों को घटना को सविस्तार बताया मगर पुलिसकर्मियों ने पत्रकार को ही झूठा कहने लगे। जिस पर पत्रकार ने एफआईआर दर्ज करने की मांग की जिसके चलते पुलिसवालों ने पत्रकार एनिश की बेंत व चमड़े के पट्टे से ताबड़तोड़ पिटाई शुरू कर दी, और उल्टा पत्रकार को ही गाली देने लगे और कहने लगे कि हमारी पहुंच ऊपर बैठे उच्चाधिकारियों तक है, तुम्हें जो उखाड़ना होगा उखाड़ लेना। तुम्हारे जैसे पत्रकारों को जब चाहूं फर्जी केस में फंसाकर हवालात में डाल दूंगा और रात भर पिटाई भी करूंगा, तुम्हारी सारी पत्रकारिता धरी की धरी रह जाएगी। इतने सबके दौरान पत्रकार को पांचों पुलिसकर्मी बुरी तरह से पीटते ही रहे। लगभग 15 मिनट तक लाठी व पट्टे से पीटते रहे। वो तो एक साथी ने ऊपर के किसी अधिकारी को फोन लगाया और जानकारी दी, तब अधिकारी ने थाने में फोन लगाया, तब कहीं जाकर इन बेरहम पुलिसकर्मियों ने पिटाई रोकी मगर तब तक में पत्रकार एनिश इतनी बुरी हालत में पहुंच चुके थे कि उन्हें जल्दी से जिला अस्पताल ले जाया गया। कई घंटों की चिकित्सा के बाद पत्रकार एनिश की हालत में सुधार दिखाई दिया। जब वह कुछ कहने सुनने की अवस्था में हुए तब उन्होंने अपने हितैषियों को घटनाक्रम की जानकारी थी। घटनाक्रम की जानकारी लगते ही अखिल भारतीय युवा पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष राजनांदगांव व अंबागढ़ चौकी के पत्रकार हरदीप सिंह छाबड़ा ने इस अनैतिक घटना का खुला विरोध जताते हुए सीधे डोंगरगांव थाने पहुंच गए और एफआईआर दर्ज करने की मांग करने लगे, तब तक स्थानीय पत्रकारगण भी पहुंच गए मामले को बढ़ता देख विभाग ने पांचों पुलिसकर्मियों को कार्रवाई करने के नाम लाईन अटैच करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। एक पत्रकार को इस कदर मारा गया कि अगर सही समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जाता तो पत्रकार की मौत भी हो सकती थी, इतना बड़ा अपराध करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लाइन अटैच करना क्या किसी भी प्रकार से न्यायिक व उचित है?
इसमें प्रमुख रूप में रायपुर के जिलाध्यक्ष जावेद अख्तर, उपाध्यक्ष रवि कुमार, जिला सचिव सुजीत कुमार घिदौड़े, जिला महासचिव अभिनेश कुमार त्रिपाठी, बिलासपुर के जिलाध्यक्ष अज़हर खान, राजनांदगांव जिलाध्यक्ष हरदीप छाबड़ा, भाटापरा जिलाध्यक्ष अजित वाजपेयी जी, रवि अग्रवाल रायगढ़ जिला प्रतिनिधि, कोरबा से प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक साहू जी, प्रदेश संयुक्त सचिव विकास ठाकुर जी और राष्ट्रीय महासचिव उत्पल सेनगुप्ता के साथ भारी संख्या में पत्रकार सदस्य उपस्थित थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार डोंगरगांव थाने के थाना प्रभारी नितिन तिवारी डोंगरगांव थाने में पदस्थ पुलिसकर्मी अनुप मिश्रा, परमेश्वर साहू, गणेश्वर साहू, राजकुमार यादव, वीरेश चंद्र शर्मा, ने कानून का मजाक उड़ाते हुए थाने के भीतर ही पत्रकार एनिशपुरी गोस्वामी को बुरी तरह से चमड़े के बेल्ट से और बेंत से मारा, जिससे पत्रकार को इतनी अधिक चोटें आई कि उन्हें तत्काल राजनांदगांव जिला हॉस्पिटल रिफर किया गया अन्यथा उसकी मौत हो सकती थी। भर्ती के पश्चात उनके हालात में सुधार आया और वो बातचीत करने की अवस्था में आये। पत्रकार एनिशपुरी गोस्वामी ने खुलासा टीवी के पत्रकार जावेद अख्तर को पूरी घटना इस प्रकार बताई - पत्रकार एनिशपुरी गोस्वामी कल राजनांदगांव गए थे, वहां से अंबागढ़ चौकी वापस आते समय आरी कॉनरी के पास कुछ लोगों ने एनिश (पत्रकार) से 10,000 रूपये और 1 मोबाईल हैंडसेट छीन लिया था। जिसकी रिपोर्ट डोंगरगांव थाने में पीड़ित पत्रकार एनिशपुरी गोस्वामी करने गए थे। यह घटना मंगलवार की रात 11 बजे की हैं। एनिश जब थाने पहुंचे तो वहां मौजूद पांचों पुलिसकर्मियों मौजूद थे, पीड़ित पत्रकार ने अपने साथ हुए घटना की जानकारी दी मगर पुलिसकर्मी ने उल्टा पत्रकार को यह कहा कि इस थाने में झूठी रिपोर्ट दर्ज नहीं होगी।
इस बात से एनिश ने पुलिस वालों को घटना को सविस्तार बताया मगर पुलिसकर्मियों ने पत्रकार को ही झूठा कहने लगे। जिस पर पत्रकार ने एफआईआर दर्ज करने की मांग की जिसके चलते पुलिसवालों ने पत्रकार एनिश की बेंत व चमड़े के पट्टे से ताबड़तोड़ पिटाई शुरू कर दी, और उल्टा पत्रकार को ही गाली देने लगे और कहने लगे कि हमारी पहुंच ऊपर बैठे उच्चाधिकारियों तक है, तुम्हें जो उखाड़ना होगा उखाड़ लेना। तुम्हारे जैसे पत्रकारों को जब चाहूं फर्जी केस में फंसाकर हवालात में डाल दूंगा और रात भर पिटाई भी करूंगा, तुम्हारी सारी पत्रकारिता धरी की धरी रह जाएगी। इतने सबके दौरान पत्रकार को पांचों पुलिसकर्मी बुरी तरह से पीटते ही रहे। लगभग 15 मिनट तक लाठी व पट्टे से पीटते रहे। वो तो एक साथी ने ऊपर के किसी अधिकारी को फोन लगाया और जानकारी दी, तब अधिकारी ने थाने में फोन लगाया, तब कहीं जाकर इन बेरहम पुलिसकर्मियों ने पिटाई रोकी मगर तब तक में पत्रकार एनिश इतनी बुरी हालत में पहुंच चुके थे कि उन्हें जल्दी से जिला अस्पताल ले जाया गया। कई घंटों की चिकित्सा के बाद पत्रकार एनिश की हालत में सुधार दिखाई दिया। जब वह कुछ कहने सुनने की अवस्था में हुए तब उन्होंने अपने हितैषियों को घटनाक्रम की जानकारी थी। घटनाक्रम की जानकारी लगते ही अखिल भारतीय युवा पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष राजनांदगांव व अंबागढ़ चौकी के पत्रकार हरदीप सिंह छाबड़ा ने इस अनैतिक घटना का खुला विरोध जताते हुए सीधे डोंगरगांव थाने पहुंच गए और एफआईआर दर्ज करने की मांग करने लगे, तब तक स्थानीय पत्रकारगण भी पहुंच गए मामले को बढ़ता देख विभाग ने पांचों पुलिसकर्मियों को कार्रवाई करने के नाम लाईन अटैच करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। एक पत्रकार को इस कदर मारा गया कि अगर सही समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जाता तो पत्रकार की मौत भी हो सकती थी, इतना बड़ा अपराध करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लाइन अटैच करना क्या किसी भी प्रकार से न्यायिक व उचित है?
प्रदेश कार्यकारिणी का एक दल मिला मुख्यमंत्री से
प्रदेश में आए दिन हर जिले में पत्रकारों को कही पुलिस तो कही प्रशासन के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। कुछ दिनों से लगातार पत्रकारों पर अत्याचार में बढ़ोत्तरी को देखते हुए अखिल भारतीय युवा पत्रकार संघ की प्रदेश कार्यकारणी ने तत्काल माननीय मुख्यमंत्री जी से मिलकर पत्रकारों पर हो रहे अत्याचारों के बारे में अवगत कराना उचित समझा। दिनांक 10 सितम्बर को रायपुर में माननीय मुख्यमंत्री जी के निवास पर प्रदेश अध्यक्ष महफूज़ खान के नेतृत्व में प्रदेश कार्यकारणी अपने जिला प्रतिनिधियों के साथ पत्रकारों का एक दल द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी से मिलकर सारी घटनाओं को वृत्तान्त से बताया गया जिसमें छत्तीसगढ़ के हरेक जिले के पीड़ित पत्रकारों का विवरण है। माननीय मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन प्रेषित कर यह मांग किया गया की भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो अन्यथा अखिल भारतीय युवा पत्रकार संघ प्रदेश के हर जिले में उग्र आंदोलन करने में बाध्य होगा।इसमें प्रमुख रूप में रायपुर के जिलाध्यक्ष जावेद अख्तर, उपाध्यक्ष रवि कुमार, जिला सचिव सुजीत कुमार घिदौड़े, जिला महासचिव अभिनेश कुमार त्रिपाठी, बिलासपुर के जिलाध्यक्ष अज़हर खान, राजनांदगांव जिलाध्यक्ष हरदीप छाबड़ा, भाटापरा जिलाध्यक्ष अजित वाजपेयी जी, रवि अग्रवाल रायगढ़ जिला प्रतिनिधि, कोरबा से प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक साहू जी, प्रदेश संयुक्त सचिव विकास ठाकुर जी और राष्ट्रीय महासचिव उत्पल सेनगुप्ता के साथ भारी संख्या में पत्रकार सदस्य उपस्थित थे।