छत्तीसगढ़ - केन्द्र ने राज्य सरकार को दे दिया झटका, 40 फीसदी बजट मिला 60 फीसदी का फटका
छत्तीसगढ़ 14 सितम्बर 2015 (जावेद अख्तर). केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ को दिए जाने वाले भारी भरकम बजट में आधे से अधिक की कटौती कर दी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने गांवों में सड़क निर्माण के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत लगभग एक हजार करोड़ रुपए की राशि मांगी थी, लेकिन केंद्र ने आधी से भी कम राशि दी है। छत्तीसगढ़ को सिर्फ 398 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ है।
केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़कों हेतु दिए जाने वाले बजट में पिछले वर्ष की अपेक्षा 60 फीसदी का फटका लगा दिया है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत पिछले वर्ष करीब 925 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। छत्तीसगढ़ सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इस वर्ष भी बस्तर, सरगुजा, बिलासपुर व दुर्ग संभाग के गांवों में सड़क बनाने के लिए लगभग एक हजार करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा था। राज्य सरकार के अफसरों के साथ केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई थी, जिसमें अधिक से अधिक राशि जारी किए जाने का आग्रह किया गया था। वहीं, छत्तीसगढ़ में नक्सली क्षेत्रों व पिछड़ेपन का हवाला देकर भी पहले की तरह इस बार भी पर्याप्त राशि आवंटित किए जाने का आग्रह किया गया था। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने देशभर के विभिन्न राज्यों के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 11 हजार करोड़ रुपए जारी किए हैं। छत्तीसगढ़ के हिस्से में सबसे कम केवल 398 करोड़ रुपए आया है। पंचायत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार के कम आवंटन से गांवों में सड़क बनाने का काम प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि पिछले वर्ष के 925 करोड़ रुपये में पीएम योजना के तहत प्रदेश में जितनी भी सड़कों का निर्माण किया गया उनमें से 75 फीसदी सड़कें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। कुछ स्थानों पर सड़कों के निर्माण पूरा होने के साथ ही सड़क उखड़ गई तो कुछ स्थानों पर थूक पालिश से काम पूरा कर दिया गया। बाकी जो कुछ कमीबेशी रह गई थी वह सभी पहली बारिश के बाद सामने आ गई। पहली बारिश के पश्चात ही 60 फीसदी सड़कों के किनारे कट कर बह गए।
नक्सल प्रभावित इलाकों में शासकीय विभागों के भ्रष्टाचारियों ने इन खराब सड़कों के उखड़ने की वजह नक्सलियों को बता दिया, कि नक्सलियों ने सड़कों को ब्लास्ट करके उखाड़ दिया है इसमें विभाग की कोई गलती नहीं है। जबकि बची खुची सड़कों को देखकर समझा जा सकता था कि सड़कों के निर्माण में घटिया स्तर की सामग्री का उपयोग किया गया है और गुणवत्ता तो नाम मात्र की है। वैसे भी इन मरियल सड़कों को उखाड़ने के लिए ब्लास्टिंग की कोई आवश्यकता ही नहीं थी क्योंकि बारिश के पश्चात तो यह नवनिर्मित सड़कें खुद से ही ऊबड़ खाबड़ पथरीला रास्ता बन ही जाएगी। नक्सली इतने भी अहमक नहीं कि इन मरियल सड़कों को उखाड़ने के लिए अत्यधिक महंगे ब्लास्ट व बारूद का उपयोग कर पैसों की बर्बादी करेंगे। नई दिल्ली से सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि केन्द्र सरकार ने इस बार छत्तीसगढ़ राज्य को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत राशि में लगभग 60 फीसदी कटौती करने का मुख्य कारण प्रदेश में राज्य शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में नवनिर्मित सड़कों में जमकर भ्रष्टाचार किया गया, जिसका खुलासा पिछले तीन माह से लगातार खुलासा टीवी वेब न्यूज़ चैनल पर छत्तीसगढ़ के पत्रकार जावेद अख्तर द्वारा किया जा रहा है। इन सभी समाचारों को दिल्ली के मंत्रीमंडल के मंत्रियों व केन्द्रीय प्रमुख सचिवों, सचिवों, सह-सचिवों व अन्य उच्चाधिकारियों को भी बराबर भेजा गया है और वैसे भी खुलासा टीवी वेब न्यूज़ चैनल पर केन्द्रीय सरकार से जुड़े तमाम शासकीय व गैर-शासकीय लोगों की लगातार आमद होती है जिससे भी छत्तीसगढ़ राज्य शासन व पीडब्लूडी द्वारा नवनिर्मित सड़कों की असलियत की जानकारी मिलती रही है। उस पर राज्य सरकार द्वारा मनमाने तरीकों से केन्द्र शासन के मद से प्राप्त राशि को खर्च किए जाने व नवनिर्मित ग्रामीण क्षेत्रों की कई सड़कों की बदहाली व भ्रष्टाचार के समाचारों का संकलन किया गया और केन्द्रीय मंत्रिमंडल को छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की इन सभी गतिविधियों की पूरी फाइल भी बना कर दी गई है।
संभवतः इसी कारण राज्य सरकार को इस बार केन्द्र ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के बजट में सीधे सीधे 60 फीसदी राशि की कटौती कर दी है और कटौती की राशि को मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व बिहार के बजट में जोड़ दिए जाने की संभावना है। नई दिल्ली से प्राप्त विभागीय सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ राज्य शासन को नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए मिलने वाली राशि में भी लगभग 45 फीसदी की कटौती केन्द्र सरकार कर सकती है। नान घोटाले के कारण अनाज व राशन के लिए केन्द्र से मिलने वाली राशि में भी 35 फीसदी की कटौती करने की तैयारी की जा रही है। दूसरा मुख्य कारण यह भी रहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में खुलेआम भ्रष्टाचार व नवनिर्मित सड़कों की बदहाली पर राज्य शासन संतुष्टिप्रद जवाब नहीं दे सकी। पीडब्लूडी में बढ़ते भ्रष्टाचार पर भी राज्य शासन निरूत्तर रहा। राशन, पीडीएस, धान व नान घोटाले पर भी राज्य शासन कोई भी उत्तर नहीं दे सकी जिसके चलते इस बार केन्द्र से तकरीबन सभी विभागों को मिलने वाले कुल बजट में लगभग 39 फीसदी की कमी कर देने की सूचना है। नक्सल ऑपरेशन पर भी केन्द्र सरकार अपनी नजर रखने की तैयारी कर रहा है अगर ऐसा हुआ तो राज्य सरकार को प्रति वर्ष लगभग 1-2 हजार करोड़ रुपये की राशि से भी हाथ धोना पड़ जाएगा। अगर केन्द्र सरकार द्वारा इस बार बजट में इतनी अधिक कटौती की गई तो इसका सीधा असर प्रदेश के गरीब, किसान व आदिवासियों को मिलने वाली तमाम सुविधाओं पर पड़ेगी। इस कटौती से राज्य में हो रहें भ्रष्टाचार में कमी आएगी या नहीं? यह भी कहना मुश्किल है कि हठधर्मिता, मनमानी व भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकेगा? क्योंकि अभी तक राज्य सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में विफल रही है।
राज्य शासन ने स्वंय से अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। अगर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जाती तो संभवतः केन्द्र से मिलने वाले बजट में बढ़ोत्तरी होती न कि कटौती। मगर इतना अवश्य है कि केंद्र ने संकेत दे दिया है कि अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो अगले बजट में कटौती का प्रतिशत बढ़ सकता है। कटौती करने का कारण एक यह भी हो सकता है कि जब बजट ही छोटा कर दिया जाएगा तो उसका लेखा जोखा रखने में सुविधा होगी और जांच पड़ताल करने में आसानी होगी और किसी भी विभाग में अधिक भ्रष्टाचार नहीं हो सकेगा। क्योंकि सौ करोड़ में से चालीस करोड़ का घोटाला खोजने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी और अधिक समय भी लगेगा, जब बजट 10 करोड़ का होगा तो दो करोड़ का घोटाला दो या चार दिन की जांच में ही पकड़ लिया जाएगा यानि कि केन्द्र द्वारा स्पष्ट है कि बजट में कटौती करने का कारण प्रदेश में अत्यधिक भ्रष्टाचार घोटाला और फर्जीवाड़ा है। जिसे लेकर केन्द्र कोई भी समझौता करने के मूड में नहीं है। वैसे देखा जाए तो केन्द्र का यह कदम सराहनीय है और भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए पहल करने की जरूरत थी संभवतः केन्द्रीय सरकार ने यह पहल कर दी है। मगर अब यह देखना बाकी रहेगा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए पहल कब करती है? क्योंकि अभी तक ऐसी कोई भी संभावना मात्र तक दिखाई नहीं पड़ी है। आज भी राज्य के अधिकांश विभागों में खुलेआम भ्रष्टाचार गबन घोटाला किया जा रहा है और राज्य सरकार इन भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने की बजाए इन्हें पदोन्नति दे रहा है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में शासकीय विभागों के भ्रष्टाचारियों ने इन खराब सड़कों के उखड़ने की वजह नक्सलियों को बता दिया, कि नक्सलियों ने सड़कों को ब्लास्ट करके उखाड़ दिया है इसमें विभाग की कोई गलती नहीं है। जबकि बची खुची सड़कों को देखकर समझा जा सकता था कि सड़कों के निर्माण में घटिया स्तर की सामग्री का उपयोग किया गया है और गुणवत्ता तो नाम मात्र की है। वैसे भी इन मरियल सड़कों को उखाड़ने के लिए ब्लास्टिंग की कोई आवश्यकता ही नहीं थी क्योंकि बारिश के पश्चात तो यह नवनिर्मित सड़कें खुद से ही ऊबड़ खाबड़ पथरीला रास्ता बन ही जाएगी। नक्सली इतने भी अहमक नहीं कि इन मरियल सड़कों को उखाड़ने के लिए अत्यधिक महंगे ब्लास्ट व बारूद का उपयोग कर पैसों की बर्बादी करेंगे। नई दिल्ली से सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि केन्द्र सरकार ने इस बार छत्तीसगढ़ राज्य को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत राशि में लगभग 60 फीसदी कटौती करने का मुख्य कारण प्रदेश में राज्य शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में नवनिर्मित सड़कों में जमकर भ्रष्टाचार किया गया, जिसका खुलासा पिछले तीन माह से लगातार खुलासा टीवी वेब न्यूज़ चैनल पर छत्तीसगढ़ के पत्रकार जावेद अख्तर द्वारा किया जा रहा है। इन सभी समाचारों को दिल्ली के मंत्रीमंडल के मंत्रियों व केन्द्रीय प्रमुख सचिवों, सचिवों, सह-सचिवों व अन्य उच्चाधिकारियों को भी बराबर भेजा गया है और वैसे भी खुलासा टीवी वेब न्यूज़ चैनल पर केन्द्रीय सरकार से जुड़े तमाम शासकीय व गैर-शासकीय लोगों की लगातार आमद होती है जिससे भी छत्तीसगढ़ राज्य शासन व पीडब्लूडी द्वारा नवनिर्मित सड़कों की असलियत की जानकारी मिलती रही है। उस पर राज्य सरकार द्वारा मनमाने तरीकों से केन्द्र शासन के मद से प्राप्त राशि को खर्च किए जाने व नवनिर्मित ग्रामीण क्षेत्रों की कई सड़कों की बदहाली व भ्रष्टाचार के समाचारों का संकलन किया गया और केन्द्रीय मंत्रिमंडल को छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की इन सभी गतिविधियों की पूरी फाइल भी बना कर दी गई है।
संभवतः इसी कारण राज्य सरकार को इस बार केन्द्र ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के बजट में सीधे सीधे 60 फीसदी राशि की कटौती कर दी है और कटौती की राशि को मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व बिहार के बजट में जोड़ दिए जाने की संभावना है। नई दिल्ली से प्राप्त विभागीय सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ राज्य शासन को नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए मिलने वाली राशि में भी लगभग 45 फीसदी की कटौती केन्द्र सरकार कर सकती है। नान घोटाले के कारण अनाज व राशन के लिए केन्द्र से मिलने वाली राशि में भी 35 फीसदी की कटौती करने की तैयारी की जा रही है। दूसरा मुख्य कारण यह भी रहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में खुलेआम भ्रष्टाचार व नवनिर्मित सड़कों की बदहाली पर राज्य शासन संतुष्टिप्रद जवाब नहीं दे सकी। पीडब्लूडी में बढ़ते भ्रष्टाचार पर भी राज्य शासन निरूत्तर रहा। राशन, पीडीएस, धान व नान घोटाले पर भी राज्य शासन कोई भी उत्तर नहीं दे सकी जिसके चलते इस बार केन्द्र से तकरीबन सभी विभागों को मिलने वाले कुल बजट में लगभग 39 फीसदी की कमी कर देने की सूचना है। नक्सल ऑपरेशन पर भी केन्द्र सरकार अपनी नजर रखने की तैयारी कर रहा है अगर ऐसा हुआ तो राज्य सरकार को प्रति वर्ष लगभग 1-2 हजार करोड़ रुपये की राशि से भी हाथ धोना पड़ जाएगा। अगर केन्द्र सरकार द्वारा इस बार बजट में इतनी अधिक कटौती की गई तो इसका सीधा असर प्रदेश के गरीब, किसान व आदिवासियों को मिलने वाली तमाम सुविधाओं पर पड़ेगी। इस कटौती से राज्य में हो रहें भ्रष्टाचार में कमी आएगी या नहीं? यह भी कहना मुश्किल है कि हठधर्मिता, मनमानी व भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकेगा? क्योंकि अभी तक राज्य सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में विफल रही है।
राज्य शासन ने स्वंय से अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। अगर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जाती तो संभवतः केन्द्र से मिलने वाले बजट में बढ़ोत्तरी होती न कि कटौती। मगर इतना अवश्य है कि केंद्र ने संकेत दे दिया है कि अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो अगले बजट में कटौती का प्रतिशत बढ़ सकता है। कटौती करने का कारण एक यह भी हो सकता है कि जब बजट ही छोटा कर दिया जाएगा तो उसका लेखा जोखा रखने में सुविधा होगी और जांच पड़ताल करने में आसानी होगी और किसी भी विभाग में अधिक भ्रष्टाचार नहीं हो सकेगा। क्योंकि सौ करोड़ में से चालीस करोड़ का घोटाला खोजने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी और अधिक समय भी लगेगा, जब बजट 10 करोड़ का होगा तो दो करोड़ का घोटाला दो या चार दिन की जांच में ही पकड़ लिया जाएगा यानि कि केन्द्र द्वारा स्पष्ट है कि बजट में कटौती करने का कारण प्रदेश में अत्यधिक भ्रष्टाचार घोटाला और फर्जीवाड़ा है। जिसे लेकर केन्द्र कोई भी समझौता करने के मूड में नहीं है। वैसे देखा जाए तो केन्द्र का यह कदम सराहनीय है और भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए पहल करने की जरूरत थी संभवतः केन्द्रीय सरकार ने यह पहल कर दी है। मगर अब यह देखना बाकी रहेगा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए पहल कब करती है? क्योंकि अभी तक ऐसी कोई भी संभावना मात्र तक दिखाई नहीं पड़ी है। आज भी राज्य के अधिकांश विभागों में खुलेआम भ्रष्टाचार गबन घोटाला किया जा रहा है और राज्य सरकार इन भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने की बजाए इन्हें पदोन्नति दे रहा है।