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छत्तीसगढ़ - मानकों पर खरा नहीं उतरा प्रदेश का एक भी स्वास्थ्य केंद्र

छत्तीसगढ़ 16 सितम्‍बर 2015 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ का एक भी स्वास्थ्य केंद्र (हेल्थ सेंटर) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पैमानों पर खरा नहीं उतरता है। यह खुलासा केन्द्र मंत्रालय की रिपोर्ट में किया गया है। प्रदेश की शासन व्यवस्था पर एक बार फिर से सवालिया निशान लगा है कि आखिर केन्द्र शासन द्वारा दिए जा रहे बजट का उपयोग कहां हो रहा है जिसके कारण पूरे प्रदेश में सैकड़ों हेल्थ सेंटर खोले गए मगर एक भी हेल्थ सेंटर पैमानों पर खरा नहीं उतरता है।

वाकई यह सोचने वाली बात है कि प्रदेश में राज्य सरकार हरेक योजनाओं में फिसड्डी क्यों साबित हो रही है। एक भी योजनाओं के अन्तर्गत ऐसी कोई भी टीम क्यों नहीं बनाई जा पाई है जो कि पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करे। अगर हरेक योजनाओं में भ्रष्टाचार हो रहा है तो इसके लिए पूरी तरह राज्य सरकार कसूरवार है क्योंकि सरकार के ढुलमुल रव्वैय्ये और योजनाओं के प्रति उदासीनता से ही यह स्थिति निर्मित हो चुकी है कि प्रदेश बारम्बार शर्मसार हो रहा है और साथ ही साथ बदनाम भी होता जा रहा है। आखिरकार राज्य सरकार अपने कर्तव्यों के प्रति इतनी अधिक लापरवाह क्यों है कि सरकार के नाक के नीचे ही ऐसे भ्रष्टाचार के घिनौने खेल खेले जा रहें हैं और राज्य सरकार मूकदर्शक बन कर तमाशा देखते हुए बैठी है। केन्द्र सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में देशभर के स्वास्थ्य केंद्रों की हालत पर सर्वेक्षण के अनुसार रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ एकलौता प्रदेश है जहां पर एक भी हेल्थ सेंटर तय मानकों के अनुरूप नहीं है। 
 
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में डेढ़ गुना इजाफा हुआ है, लेकिन इन केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का जबरदस्त अभाव है। स्वास्थ्य केंद्रों में 2800 से भी अधिक पद खाली हैं। दर्जनों अस्पतालों में पीने के लिए साफ पानी, बिजली, सफाई और कुछ स्थानों पर तो पहुंचने के लिए पक्की सड़क तक नहीं है। छत्तीसगढ़ में 6 हजार 133 सामुदायिक, प्राथमिक और उप-स्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन इनमें से एक में भी इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के मापदंडों के अनुरूप नहीं है। 40 से ज्यादा सीएचसी(सेन्ट्रल हेल्थ सेंटर) में तो एक्सरे मशीन तक नहीं है। रिपोर्ट में हालांकि छत्तीसगढ़ की स्थिति कुछ अन्य राज्यों के मुकाबले ठीक बताई गई है, लेकिन ज्यादातर बड़े व विकसित राज्यों के मुकाबले यहां की स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं को बहुत पीछे बताया गया है। रिपोर्ट में 2005 से 2015 तक तुलनात्मक आंकड़े भी दिए गए हैं। आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में एक दशक पहले 2005 में 116 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 517 प्राथमिक और 3818 उप-स्वास्थ्य केंद्र थे। 2015 की स्थिति में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बढ़कर 155, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 792 और उप-स्वास्थ्य केंद्र 5 हजार 186 हो गए। राज्य के गांव, आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से वर्तमान में 130 गांव, 1 लाख 26 हजार की आबादी और 860 वर्ग किलोमीटर में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इसी तरह 25 गांव, 25 हजार की आबादी और 168 वर्ग किलोमीटर में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं प्रत्येक 4 गांव, 3700 की आबादी और 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक उप-स्वास्थ्य केंद्र है। जोकि नाकाफी है। दूसरा कर्मचारियों का अधिक अभाव है। तीसरा सुविधाओं का अभाव है। चौथा रखरखाव व सफाई व्यवस्था पूरी तरह बेकार है। पांचवां कई स्वास्थ्य केंद्रों तक पक्की सड़क नहीं है और कुछ स्थानों पर कच्चे रास्ते भी बदहाल है। छठवां बिजली व्यवस्था बेकार है। सातवां एक्सरे मशीनों का अभाव है। आठवाँ जहां पर एक्सरे मशीनें हैं तो वहां पर टेक्नीशियन नहीं है। जो भी टेक्नीशियन है वो अनुभवी तो हैं मगर डिप्लोमा या डिग्रीधारी नहीं है। नौवाँ कर्मचारियों के लिए भी कोई विशेष सुविधा नहीं दी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी औपचारिक जांच करने जातें हैं तो कर्मचारियों के साथ उनका व्यवहार सही नहीं रहता है और न ही सेंटरों पर जो भी कमियां होती है उसे पूरा करने के लिए गंभीर होतें हैं।