तेजाब हत्याकांड में सिवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन दोषी करार
सिवान 09 दिसंबर 2015 (IMNB). चर्चित तेजाब हत्याकांड मामले में अदालत ने आज अपना फैसला सुनाते हुए जेल में बंद सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को दोषी करार दिया है।
सिवान में दो युवकों का अपहरण कर तेजाब से नहलाकर बेदर्दी से हत्या कर दी गई थी और हत्याकांड के चश्मदीद मृतकों के भाई ने कहा था कि वारदात के समय पूर्व सांसद शहाबुद्दीन खुद उस वक्त वहां उपस्थित थे। दूसरी ओर जेल प्रशासन का दावा था कि शहाबुद्दीन उस समय जेल में थे।
ग्यारह साल पहले बड़े भाई की मौजूदगी में उसके दो छोटे भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या के मामले में सिवान मंडल कारा में गठित विशेष न्यायालय के विशेष न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने पूर्व सांसद को इस मामले के साजिश रचने, दोनों भाइयों की हत्या और साक्ष्य छिपाने के मामले में दोषी करार दिया।
विशेष अदालत ने इस मामले में सजा के सभी बिंदुओं पर विचार कर सजा के निर्णय के लिए 11 दिसंबर का दिन तय किया है। विशेष लोक अभियोजक जयप्रकाश सिंह ने बताया कि अदालत ने सत्रवाद 158/10 के इस मामले में चार लोगों, पूर्व सांसद मो.शहाबुद्दीन, शेख असलम, शेख आरिफ उर्फ सोनू और राजकुमार साह को भारतीय दंड संख्या की धाराओं 302, 364 ए, 201 और 120 (बी) के मामलों में दोषी करार दिया।
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि विशेष अदालत ने इस मामले को दुर्लभतम श्रेणी का माना जिससे सभी दोषियों को इन धाराओं में अधिकतम सजा हो सकती है।
सिवान के लोग इसे 'तेजाब कांड' के नाम से जानते हैं।
सिवान के व्यवसायी चंदा बाबू के दो पुत्रों के 2004 में हुए अपहरण एवं हत्या से जुड़े तेजाब कांड में अदालत ने आज अपना फैसला सुना दिया है।
अभियोजन के बहस के समाप्त होने के पश्चात बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अभय कुमार राजन ने उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्था का हवाला देते हुए अभियुक्त पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन को दोषमुक्त करने का निवेदन किया था।
यह है मामला
जानकारी के मुताबिक वर्ष 16 अगस्त 2004 को नगर व्यवसायी चन्द्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के दो पुत्रों गिरीश व सतीश का अपहरण शहर की दो भिन्न दुकानों से कर लिया गया। इस मामले में अज्ञात के विरुद्ध अपहरण की एफआइआर दर्ज कराई गई थी। उस समय पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन जेल में बंद थे।
अभियोजन के अनुसार, अपहृत युवकों के बड़े भाई राजीव रौशन ने चश्मदीद गवाह की हैसियत से बयान दिया कि छोटे भाईयों के साथ उसका भी अपहरण हुआ था तथा शहाबुद्दीन के कहने पर दोनों भाईयों की हत्या के पश्चात वह किसी तरह वहां से भाग निकला था।
चश्मदीद के बयान के बाद उच्च न्यायालय के आदेश पर पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के विरुद्ध हत्या एवं षड्यंत्र को लेकर आरोप गठित किए गए और मामले का पुन: विचारण शुरू हुआ। विशेष अदालत में दोबारा गवाही शुरू होने के पहले 16 जून 2014 को चश्मदीद गवाह राजीव रौशन की भी हत्या हो गई।
मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि अपहरण व हत्या के समय पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन जेल में थे। जेल प्रशासन उनके बाहर निकलने से इंकार करता रहा है, जबकि मारे गए चश्मदीद गवाह के अनुसार शहाबुद्दीन घटना के दिन जेल से बाहर निकले थे।