सरकार का एक तिहाई वक्त खत्म, मंत्रियों को देना होगा हिसाब-किताब
नई दिल्ली 22 जनवरी 2016 (IMNB). जनता को अपने कार्यकाल के एक-एक दिन का हिसाब देने की बात करते रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब अपने मंत्रियों को भी उसी कसौटी पर कसना शुरू कर दिया है। वर्तमान सरकार का एक तिहाई वक्त खत्म होते ही अब मंत्रियों से योजनाओं के अमल पर हिसाब-किताब लेने की कवायद तेज होने वाली है। मंत्रियों के कामकाज, उनकी प्रशासनिक क्षमता और योजनाओं को जमीन पर उतारने की योग्यता को परखा जाएगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इसकी पहली प्रक्रिया 27 जनवरी को शुरू हो सकती है जहां मंत्रिपरिषद की बैठक में खासतौर पर कृषि से जुड़े सभी विभागों और कैबिनेट के फैसलों पर प्रगति की समीक्षा की जाएगी। इसे एक तरह से बजट सत्र की तैयारी के रूप मे भी देखा जा रहा है जहां विपक्ष के पुराने रुख में बहुत बदलाव की उम्मीद कम है।
पिछले बीस महीनों में जहां सरकार की ओर से हर क्षेत्र में कई बड़ी उपलब्धियां गिनाई गई हैं, वहीं कांग्रेस की ओर से यह प्रचारित किया जाता रहा है कि कई बड़े कदम संप्रग काल के ही हैं जिसे नाम बदलकर पेश कर दिया गया। किसानों, मजदूरों, वंचितों, उद्योगों को लेकर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं और योजनाओं के क्रियान्वयन की गति को कठघरे में खड़ा किया जाता रहा है।
ऐसे में मोदी की समीक्षा को अहम माना जा रहा है। दरअसल, वह खुद पूरी तरह आश्वस्त हो लेना चाहते हैं कि किसी भी स्तर पर कोई ढिलाई या कोताही न बरती जाए। सूत्रों के अनुसार मंत्रिपरिषद के सदस्यों को कहा गया है कि 27 जनवरी को कैबिनेट और सीसीइए में लिए गए फैसलों की समीक्षा होगी। सूत्र बताते हैं कि समीक्षा का दौर कुछ चरणों में चलेगा।
पहले चरण में 27 तारीख को कृषि से जुड़े विभागों का प्रजेंटेशन होगा। इसमें कृषि मंत्रालय के साथ साथ ग्र्रामीण विकास और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का प्रजेंटेशन होगा। यह जानने की कोशिश होगी कि अब तक जो फैसले लिए गए वह जमीन पर कितनी उतर पाई है। वह लक्ष्य तक पहुंच पाई है या नहीं। इसमें क्या कमी रही और उसका प्रचार-प्रसार कितना हुआ।
सूत्र हालांकि इस बैठक को केवल समीक्षा से जोड़ते हैं, लेकिन कैबिनेट विस्तार और फेरबदल की संभावनाओं के बीच इसका महत्व और बढ़ गया है। ध्यान रहे कि मोदी ने अब तक सिर्फ एक बार छोटा सा कैबिनेट विस्तार किया था। इस बार थोड़ा बड़ा विस्तार और फेरबदल हो सकता है। उससे पहले ही भाजपा अध्यक्ष का चुनाव भी हो जाएगा और उसी लिहाज से सरकार और संगठन में नए चेहरे दिख सकते हैं।