लगातार तनाव की स्थिति से फिर खिसक सकता है हिमालय
देहरादून 20 जनवरी 2016 (IMNB). नेपाल के विनाशकारी भूकंप से हिमालय के एक हिस्से में आए 60 सेंटीमीटर के धंसाव को वैज्ञानिक अस्थायी मान रहे हैं। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि एक समय ऐसा भी आएगा जब हिमालय की ऊंचाई में आई यह कमी भर जाएगी या हो सकता है कि ऊंचाई और बढ़ जाए।
वजह यह कि दुनिया के सबसे नवीनतम पर्वत श्रृंखलाओं में से एक हिमालय के भूगर्भ में लगातार तनाव की स्थिति है।
पिछले साल 25 अप्रैल को नेपाल में आए 7.8 रिक्टर स्केल के भूकंप से धरती में कई बदलाव रेकार्ड किए गए। भूकंप के शुरुआती अध्ययन में ही वैज्ञानिकों ने बताया था कि काठमांडू तीन मीटर तक दक्षिण की ओर और भारत 10 फुट तक नेपाल की तरफ खिसका है।
अब एक नए अध्ययन ने नेपाल के भूकंप को फिर चर्चा में ला दिया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के विशेष प्रो. जॉन इलियट के अनुसार नेपाल में हिमालय का एक भाग 60 सेंटीमीटर धंस गया है।
इस अध्ययन पर अपनी राय रखते हुए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. सुशील ने कहा कि एक त्वरित बदलाव था, जो अमूमन सात रिक्टर स्केल से अधिक क्षमता के भूकंप में होता है।
नेपाल के भूकंप की बात करें तो इसमें धरती के भीतर प्लेटें 295 डिग्री पर टकराईं, जिससे 50 किलोमीटर चौड़ा व 150 किलोमीटर लंबा भ्रंश हो गया। इससे प्लेटें तीन मीटर नीचे की तरफ खिसक गईं।
यही वजह है कि इस भाग पर हिमालय का बाहरी हिस्सा 60 सेंटीमीटर तक धंस गया। हालांकि हिमालय के नीचे भूगर्भ में प्लेटों की टकराहट लगातार जारी है, ऐसे में हिमालय की ऊंचाई सामान्य भी हो सकती है।