अल्हागंज - असभ्य स्कूल संचालक और प्रधानाध्यापिका से त्रस्त हैं अभिभावक
अल्हागंज 06 फरवरी 2016 (विजय राघव). नगर के एक स्कूल के संचालक और प्रधानाध्यापिका से स्कूल के बच्चे और अभिभावक त्रस्त हैं। ये लोग बच्चों से अभद्र व्यवहार करते हैं और मनमानी फीस वसूलते हैं। स्थानीय लोगों ने कई बार डीएम और
बीएसए को शिकायत भेजी हैं लेकिन अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
एक बच्चे की अभिभावक वसीम सिद्दीकी पत्नी इकबाल हुसैन निवासी मोहल्ला पीरगंज ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपने बच्चों का मोहल्ला बगिया स्थित स्कूल राज पब्लिक स्कूल में दाखिला कराया था क्योंकि यह विद्यालय यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त है लेकिन इस विद्यालय का पैटर्न सीबीएसई का है और विद्यालय की जूनियर कक्षाओं की मान्यता भी नहीं है और न ही यहां प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति है लेकिन फिर भी पिछले 9 वर्षों से यहां जूनियर कक्षायें संचालित हैं। प्रधानाध्यापिका की बातों में आकर अभिभावक ने दाखिला करवा लिया पर जब अभिभावक
को उनके साथ हुए फरेब का पता चला तो अभिभावक ने वर्ष 2016 में बच्चों को
हटाना चाहा।
अभिभावक का आरोप है कि विद्यालय संचालक प्रभाशंकर गुप्ता जून
2016 तक की फ़ीस जमा करने का अनर्गल दबाव डालने लगे जिस पर कई बार बच्चों को
प्रताड़ित भी किया जाने लगा।उन्होंने बताया कि नबम्बर 2015 की अर्द्ध वार्षिक
परीक्षा के दौरान उनके बच्चों की पिटाई कर स्कूल से भगा दिया गया था।
उन्होंने बताया कि अब उनके बच्चे शिक्षा से वंचित हैं, और संचालक ने
उनके साथ अभद्र व्यवहार करके फ़ीस रूपी धन उगाही की है। अभिभावकों ने
बताया कि यदि किसी कारण वश बच्चे स्कूल न जा पाये तो
उनसे 10 रुपये भी लिए जाते हैं और फ़ीस प्रतिमाह दो महीने की ली जाती है। वसीम सिद्दीकी ने बताया कि उन्होंने नबम्बर 2015 से अभी तक कई बार डीएम और
बीएसए को शिकायत भेजी हैं लेकिन अभी तक उनकी कोई सुनवाई नही हुई। आपको बता
दें कि विद्यालय संचालक के खिलाफ कल भी एक अभिभावक द्वारा मामला थाने में
पहुंचा था जिसमें अभिभावक ने अभद्र भाषा का प्रयोग करने और अनावश्यक रुपये लेने
का आरोप लगाया था लेकिन संचालक की पहुँच होने के कारण अभिभावक को मायूस
होकर लौटना पडा था।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सीमा शर्मा से बात करने पर उन्होंने खुलासा टीवी को बताया कि मान्यता पिछले वर्ष हो चुकी है और प्रशिक्षित अध्यापकों को भी नियुक्त कर लिया गया है, बाकी आरोप निराधार हैं।