खरी खरी – कानपुर में लगी पत्रकारों की फैक्ट्री, रातों रात बनेंगे करोड़पति पत्रकार
कानपुर 22 फरवरी 2016. भाई हम तो खरी खरी कहते हैं आपको बुरी लगे तो मत पढो, कोई जबरदस्ती तो है नहीं। बनारस वाले अपने सरकण्डे पत्रकार ने आज फोन करके बताया कि कानपुर में कोई अखबार निकलना शुरु हुआ है जो अपने यहां काम करने वाले पत्रकारों को रातों रात करोड़पति बना रहा है, और आप हो कि इतने सालों से कलम घिस कर भी हजार पर ही अटके हो। हमारा तो दिल हलक में आ गया। रातों रात करोड़पति वो भी अखबार में काम करके, कमाल है।
हमने बनारसी बाबू से तत्काल पूछा कि क्या मामला है भाई, काहे सुबह सुबह फिरकी ले रहे हो।
इस पर बनारसी भाई ने खुद को मोदी सा ज्ञानी और हमें पप्पू समान बकलोल साबित करते हुये कहा कि लो कैसे पत्रकार हो तुम्हारे शहर में इतना बड़ा मीडिया हाउस खुल गया है और तुमको पता ही नहीं, जाओ जा कर मूंगफली का ठेला लगाओ पत्रकारिता तुम्हारे बस की न है। खैर पुराने दोस्त हो तो चलो हम बताये देते हैं, तुम भी क्या याद करोगे। कानपुर से एक अखबार छपना शुरू हुआ है, जिसके बिजनेस प्लान पर चलो तो एक करोड़ अस्सी लाख रूपये मिलेंगे। और खास बात ये है कि इसके पत्रकार बनने के बाद आपको न तो खबर लिखनी है न फोटो खींचनी है और न ही अखबार बांटना है। बस आसान सा एक काम है उसको करिये और करोड़पति बनिये।
हमारा तो सर ही घूम गया। न खबर, न फोटो न ही अखबार, फिर कैसे बने पत्रकार।
हमने पूछा भाई आज क्या भौजी ने सर पर बेलन मार दिया है जो बहकी बहकी बातें कर रहे हो। इस पर अपने बनारसी राजा बाबू भडक गये और बोले कि बता रहे हैं तो मान ही नहीं रहे हो। है एक ऐसा अखबार जो बना रहा है करोड़पति पत्रकार। करनी है केवल इतनी सेवा कि खुद जुडो और अपने नीचे दो और जोडो, फिर घर बैठे खाओ मेवा। अब सारा मामला हमारी समझ में आया कि किसी ने जाल है बिछाया। जिसमें फंसेंगे बेरोजगार, बनने को पत्रकार हो जायेंगे बेचारे जालसाजी के शिकार।
पत्रकारिता का इतना बुरा दौर आयेगा और पत्रकारों का स्तर इतना गिर जायेगा ये हमने कभी नहीं सोचा था। अब आप ही बताओ पत्रकारिता का मल्टी लेवल मार्केटिंग से क्या लेना देना है।
हमारा तो काम है खबरें लिखना और लोकतंत्र के हित में जनता की आवाज बुलन्द करना। अब अगर इस तरह चेन सिस्टम से पत्रकार पैदा किये जायेंगे जो वो दिन दूर नहीं जब बेरोजगार और पत्रकार पर्यायवाची हो जायेंगे। अच्छा हुआ कि हमने पिता जी का कहना मान कर वकालत पढ़ ली थी, वरना ये चेन सिस्टम वाले पत्रकार जल्द ही इस पेशे की ऐसी मदर-सिस्टर करने वाले हैं कि मारे शर्म के हमें तो अखबार छापना छोड कर मूंगफली का ठेला ही लगाना पड़ता। खैर जब तक इज्जत बची है खबरनवीसी करते रहेंगे। क्योंकि आप तो जानते ही हैं कि, भाई हम तो खरी खरी कहते हैं आपको बुरी लगे तो मत पढो, कोई जबरदस्ती तो है नहीं