खरी खरी – घूस तो कभी ली ही नहीं, हम तो सुविधा का शुल्क लेते हैं
कानपुर 03 मार्च 2016. भाई हम तो खरी खरी कहते हैं आपको बुरी लगे तो मत पढो, कोई जबरदस्ती तो है नहीं। कुछ लोग इतने भोले होते हैं कि उनको दुनियादारी की समझ न के बराबर होती है। वरना कोई पुलिस को दिये सुविधा शुल्क को रिश्वत भला कैसे कह सकता है। सीधी सी बात है कि अगर आप सुविधा हासिल कर रहे हैं तो उसका शुल्क तो चुकाना ही पडेगा न।
बात कुछ दिनों पहले की है, एक भोले बाबा ने साउथ के एक थाने में तैनात महिला दरोगा की पुलिस के उच्च अधिकारियों से शिकायत की। शिकायत भी ऐसी की बताते हुये शर्म आती है।
भोले बाबा का आरोप है कि उक्त महिला दरोगा ने इनको हरा पेड़ कटाई के आरोप से मुक्ति दिलाने के एवज में 8 हजार रूपये की घूस ले ली। भलाई का जमाना तो अब रह ही नहीं गया है, एक तो बेचारी दरोगा ने इनको हरा पेड़ कटाई के आरोप से मुक्ति दिलाई और उस बेचारी पर ही इनने घूस लेने का आरोप जड़ दिया। भाई अगर हरा पेड़ कटाई के मामले में फंसते तो कोर्ट, कचहरी और वकील के चक्कर में पैसा, समय और सम्मान सब खर्चा हो जाता कि नहीं। बेचारी दरोगा ने भोले बाबा को फालतू के झमेले से बचाया और इनने उस बेचारी के खिलाफ ही शिकायत कर दी, है न गलत बात। पर भोले बाबा को कौन समझाये।
इत्तू सी बात इनके भेजे में न घुस रही कि पुलिस जनता की रक्षा के लिये होती है। अब कोई तन मन से आपकी रक्षा करेगा तो धन का इन्तेजाम क्या आपके फूफा करेंगे। पुलिस की नौकरी तो आप जान ही रहे हो कितनी बवाल है। दिन रात एक करके जनता की सेवा करो, उस पर एहसान मानना तो दूर रहा, इनसे जरा सी मेवा मांग ली तो इनने हंगामा खड़ा कर दिया। भाई पुलिस होती है पब्लिक सर्वेन्ट, यानी जनता की सेवक। अब जनता का सेवक अपनी सेवा के बदले में मेवा मांगने क्या बराक ओबामा के पास जायेगा।
देखो भईया सीधी, सरल और वैज्ञानिक बात है जो खाओगे उसका बिल तो चुकाना ही पड़ेगा। अगर भोले बाबा का नीम का पेड़ उनके मकान पर गिर जाता तो मकान बनवाने में बड़ा खर्चा करना पड़ता की नहीं। अब बड़ा खर्चा बचाने के लिये 8 हजार खर्च दिये तो कौन सा पहाड टूट पड़ा। आप लोगों से यही गलती रिपीट न हो जाये इसलिये हमने खरी खरी कह दी है। बाकी आप तो जानते ही हैं कि, भाई हम तो खरी खरी कहते हैं आपको बुरी लगे तो मत पढो, कोई जबरदस्ती तो है नहीं।