छत्तीसगढ़ - बीजापुर में पुलिस पिटाई से एक की मौत, एफआईआर कराने भटक रहे ग्रामीण
बीजापुर/छत्तीसगढ़ 26 अप्रैल 2016 (छत्तीसगढ़ ब्यूरो). प्रदेश में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जिंदगी को मजाक बना कर रख दिया गया है। सुरक्षा बल व पुलिस विभाग जांच व शक की बिना पर कभी भी कुछ भी कर सकता है। पुलिस द्वारा क्षेत्र में खुलेआम अत्याचार किया जा रहा है, जांच के नाम पर किसी के भी
घर की तलाशी ले ली जाती है और मात्र शक की बिना पर किसी भी आदिवासी को उठा
लिया जाता है। पुलिस अभिरक्षा में इन भोले भाले निर्दोष आदिवासियों की बिना कारण बेतहाशा पिटाई की
जाती है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि पिछली 11 अप्रैल 2016 को मुरकीनार सीआरपीएफ कैंप बीजापुर-पट्नम रोड मोदकपाल पुलिस थाना जिला बीजापुर द्वारा पुसबुड़ी गांव के 5 और मुरकीनार के 2 ग्रामीणों को पकड़कर 7 तारीख को गांव से ले जाया गया था। जिसकी जानकारी घर वालों को नहीं दी गई थी। जब ये पांचों घर नहीं पहुंचे तब 9 अप्रैल शनिवार को गांव के सरपंच और ग्रामीण थाने गये, तब उन्हें बताया गया कि ये पांचों धारा 302 के आरोपी हैं। गांव वालों ने मिलने की बात कही मगर पुलिस ने मिलाने से इंकार कर दिया तथा पुलिस द्वारा कहा गया कि विवेचना के पश्चात आगे की जानकारी दे दी जाएगी। जिस पर सभी ग्रामीण वापस गांव चले गये। परंतु पुलिस वालों ने 10 अप्रैल रविवार को गांव जाकर जानकारी दी कि अचानक गणपत आलम नामक आरोपी की तबियत खराब हो गई और उसको गांव वालों को सौंप दिया गया, जबकि पुलिस द्वारा इतनी अधिक पिटाई की गई थी कि वह मरणासन्न हालत में था।
गांव वाले गणपत को ईलाज के लिए बीजापुर ले जाने के निकले परंतु तीन-चार किलोमीटर जाते ही मुरकीनार गांव में उसकी मौत हो गयी। जिसके पश्चात थाने जाकर परिवार और गांव के लोगों ने शिकायत की लेकिन पुलिस द्वारा न पोस्टमार्टम कराया गया और न एफआईआर लिखी गई। अगले दिन 11 अप्रैल को फिर से सभी थाने पहुंच गए और पुलिस की कारवाई पर नारेबाज़ी करते हुए विरोध जताया तथा मृतक की मौत के लिए भी पुलिस को ही जिम्मेदार बताते हुए कारवाई की मांग की गई। कई घंटे बाद भी पुलिस द्वारा कोई कारवाई न किए जाने से परिजन और गांव के लोग डेड बाॅडी लेकर बीजापुर पहुंच गये। मगर यहां पर भी पुलिस अधिकारियों द्वारा सिर्फ आश्वासन मिला। जबकि गांव वालों का कहना है कि पुलिस पिटाई से ही गांव वाले की मौत हो गयी है। क्योंकि पुलिस जब ले गई थी तब वह बिल्कुल स्वस्थ था परंतु पुलिस द्वारा जब गणपत को परिवार को सौंपा गया था तब ही उसकी हालत बहुत नाजुक थी।
जिस पर प्रदेश कांग्रेस द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मामले की जानकारी मीडिया को दी गई। कांग्रेस ने बस्तर में बढ़ते पुलिस अत्याचार की कड़ी निंदा की है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने पुलिस की इस कारवाई का खुला विरोध जताते हुए कहा कि बस्तर में पुलिस द्वारा खुलेआम अत्याचार किया जा रहा है, जांच के नाम पर किसी के भी घर की तलाशी ले ली जाती है और मात्र शक की बिना पर किसी भी आदिवासी को उठा लिया जाता है और पुलिस अभिरक्षा में इन भोले भाले आदिवासियों की पिटाई की जाती है, पुलिस द्वारा ऐसी तानाशाही पहली बार नहीं की गई है, बल्कि सैकड़ों मासूम व बेगुनाहों को नक्सलियों का समर्थक बता कर पहले बुरी तरह से पीटा गया और फिर जेलों में ठूंस दिया गया। जो पुलिस की पिटाई न सह सके, वे दम तोड़ जाते हैं। बस्तर में जिंदगी का कोई मोल नहीं रह गया है। सूत्रों के अनुसार बस्तर में न ही संविधान और न ही कानून चलता है यहाँ पर पुलिसिया जंगलराज चलता है। बस्तर में जितने भी बेगुनाहों की मौत हुई है इसके लिए पूरी तरह प्रशासन जिम्मेदार है।