कुदरत का अजीबोगरीब नमूना है ये कछुआ, आस्था और आश्चर्य का केंद्र बन गया है यह कछुआ
छत्तीसगढ़ 12 मार्च 2016 (छत्तीसगढ़ ब्यूरो).
बांगो/ कोरबा/छत्तीसगढ़। शायद इसे ही कहते हैं कुदरत। दुनिया के सभी जानकार जिस प्रकार के कछुए की कल्पना नहीं कर सकते थे, ठीक वैसा ही कछुआ सामने आया है। जिसे देखकर आखें फटी की फटी रह जाएंगी। इस कछुए के शरीर पर देवी माँ की आकृति उभरी हुई है।
जी हां ऐसा ही विचित्र व नायाब कछुआ छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित बांगो दाई के मंदिर में देखा जा सकता है, जहां पर कछुए को देखने के लिए दर्शनार्थियों का तांता लगा हुआ है और नवरात्री में इसकी विशेष पूजा अर्चना हो रही है। श्रद्धा-आस्था-कौतुहल का संगम बने इस कछुए की पूजा अर्चना का दौर जाेरों पर है, बांगो दाई मंदिर में मिले इस विचित्र प्रजाति के कछुए को देखने हर दिन जनसैलाब वहां पहुंच रहा है। नवरात्री के प्रारम्भ होने के साथ ही इस विचित्र कछुए की विशेष पूजा की जा रही है।
कोरबा जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक से 2 किलोमीटर दूर मिनीमाता बांगो जलाशय के तट पर स्थित बांगो दाई मंदिर में महाशिवरात्रि को पहुंचे एक विचित्र कछुए को देखने भक्तों का तांता दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। बांगो दाई मंदिर के पुजारी को मिले इस कछुए के शरीर पर देवी माँ की आकृति उभरी हुई है और इसकी पूंछे भी लंबी है। वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि 20 नख वाला यह कछुआ दैवीय शक्ति का प्रतीक है। इसके दर्शन को प्रतिदिन लोगों का हुजूम मंदिर आ रहा है और पूजा-अर्चना कर मनोकामना सिद्धि का आशीर्वाद माँगा जा रहा है। आस्था और कौतुहल का केंद्र बना यह कछुआ वास्तव में प्रकृति की एक अनूठी प्रजाति का धोतक है। एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि सामान्यतः कछुए में हड्डी का अभाव रहता है और उसके शरीर पर एक विशेष कठोर आवरण रहता है, लेकिन अन्य कछुआ से अलग इस पर हड्डी भी ज्यादा है और इसकी आकृति सांप कि तरह प्रतीत हो रही है।
प्रदेश व आसपास के ग्रामीण इस कछुए को देखने मंदिर पहुंच रहे है। वन्य प्राणी जगत के विशेषज्ञ भी ऐसी बनावट व आकृति के कछुए को लेकर खासा उत्साहित है और वह देश दुनिया के तमाम वन्य प्राणी जगत के विशेषज्ञों से जानकारी लेकर डाटा इकट्ठा कर रहे हैं। हावर्ड युनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैरिस ने भी हैरानी जताते हुए कहा कि यह कुदरत का नमूना ही है कि यह कछुआ अपनी आकृति व बनावट से दुनिया के दस विचित्र कछुओं में माना जा सकता है क्योंकि यह सभी कछुओं से बिल्कुल अलग है जो कि हैरान कर देती है। कछुओं में ऐसे खोल व बनावट का होना अब से पहले तक तो असंभव ही माना जाता रहा है परंतु इस एक कछुए ने प्राणी जगत के विशेषज्ञों व प्रोफेसरों की सभी बातों को गलत साबित कर दिया है।
जी हां ऐसा ही विचित्र व नायाब कछुआ छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित बांगो दाई के मंदिर में देखा जा सकता है, जहां पर कछुए को देखने के लिए दर्शनार्थियों का तांता लगा हुआ है और नवरात्री में इसकी विशेष पूजा अर्चना हो रही है। श्रद्धा-आस्था-कौतुहल का संगम बने इस कछुए की पूजा अर्चना का दौर जाेरों पर है, बांगो दाई मंदिर में मिले इस विचित्र प्रजाति के कछुए को देखने हर दिन जनसैलाब वहां पहुंच रहा है। नवरात्री के प्रारम्भ होने के साथ ही इस विचित्र कछुए की विशेष पूजा की जा रही है।
कोरबा जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक से 2 किलोमीटर दूर मिनीमाता बांगो जलाशय के तट पर स्थित बांगो दाई मंदिर में महाशिवरात्रि को पहुंचे एक विचित्र कछुए को देखने भक्तों का तांता दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। बांगो दाई मंदिर के पुजारी को मिले इस कछुए के शरीर पर देवी माँ की आकृति उभरी हुई है और इसकी पूंछे भी लंबी है। वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि 20 नख वाला यह कछुआ दैवीय शक्ति का प्रतीक है। इसके दर्शन को प्रतिदिन लोगों का हुजूम मंदिर आ रहा है और पूजा-अर्चना कर मनोकामना सिद्धि का आशीर्वाद माँगा जा रहा है। आस्था और कौतुहल का केंद्र बना यह कछुआ वास्तव में प्रकृति की एक अनूठी प्रजाति का धोतक है। एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि सामान्यतः कछुए में हड्डी का अभाव रहता है और उसके शरीर पर एक विशेष कठोर आवरण रहता है, लेकिन अन्य कछुआ से अलग इस पर हड्डी भी ज्यादा है और इसकी आकृति सांप कि तरह प्रतीत हो रही है।
प्रदेश व आसपास के ग्रामीण इस कछुए को देखने मंदिर पहुंच रहे है। वन्य प्राणी जगत के विशेषज्ञ भी ऐसी बनावट व आकृति के कछुए को लेकर खासा उत्साहित है और वह देश दुनिया के तमाम वन्य प्राणी जगत के विशेषज्ञों से जानकारी लेकर डाटा इकट्ठा कर रहे हैं। हावर्ड युनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैरिस ने भी हैरानी जताते हुए कहा कि यह कुदरत का नमूना ही है कि यह कछुआ अपनी आकृति व बनावट से दुनिया के दस विचित्र कछुओं में माना जा सकता है क्योंकि यह सभी कछुओं से बिल्कुल अलग है जो कि हैरान कर देती है। कछुओं में ऐसे खोल व बनावट का होना अब से पहले तक तो असंभव ही माना जाता रहा है परंतु इस एक कछुए ने प्राणी जगत के विशेषज्ञों व प्रोफेसरों की सभी बातों को गलत साबित कर दिया है।