बिलासपुर नगर निगम में मनमाने ढंग से ठेका कर्मियों की भर्ती किये जाने की जांच ठण्डे बस्ते में
छत्तीसगढ़ 31 मई 2016 (रवि अग्रवाल). बिलासपुर में ठेका कर्मचारियों की मनमाने तरीके से भर्ती मामले की जानकारी चार महीने पहले स्पष्ट हुई थी जिसके बाद नगर निगम अधिकारियों ने जांच का हवाला दिया था मगर जनवरी से मई माह के आखिरी सप्ताह तक में जांच जस की तस बनी है। वहीं विभागीय सूत्रों के मुताबिक, बिलासपुर विधायक व छग शासन के मंत्री के अधिकांश ठेका कर्मी को नियुक्त किया गया है।
जानकारी के अनुसार ऐसे में विभागीय जांच अधिकारी भी मामले को ठंडे बस्ते में डालकर चुप्पी साध कर बैठ गए हैं। नगर निगम ने जरूरत बताकर शहर में ठेका कर्मचारियों की मनमाने तरीके से भर्ती कर ली गई थी। इन ठेका कर्मियों को प्रतिमाह 50 से 70 लाख रुपए भुगतान किया जा रहा है, मगर राज्य शासन ने इस खर्च को गैर वाजिब मानते हुए पूरे प्रकरण पर जांच बैठा दी थी। सूडा के उप मुख्य कार्यपालन अधिकारी आर.के. नारंग के नेतृत्व में टीम जांच करने निगम कार्यालय पहुंची, इसके साथ ही ठेका कर्मियों का भी अलग से सेटअप बनाने की कवायद शुरू हो गई थी।
नगर निगम खर्च की तुलना में आय अर्जित नहीं कर पा रहा है। हाल यह है कि कर्मचारियों के वेतन का भुगतान राज्य शासन से मिले पैसे से हो रहा है। नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल ने इस मामले को लेकर नगर निगम के अधिकारियों पर कड़ी नाराजगी जताई थी। इसके बाद खर्च में कटौती के लिए कवायद शुरू हो गई है। सबसे पहले निगम में बड़ी संख्या में रखे गए ठेका कर्मियों की जरूरत को लेकर जांच शुरू की गई है। इसके लिए सूडा की टीम नगर निगम पहुंची है। टीम के सदस्य निगम द्वारा हर विभाग में रखे गए ठेका कर्मियों की संख्या, उनकी आवश्यकता और वेतन भुगतान को लेकर जांच कर रहे हैं। निगम के पास वर्तमान में करीब 1 हजार ठेका कर्मी हैं। इसमें सबसे अधिक कर्मचारी सफाई विभाग में हैं। वहां 700 कर्मचारी सफाई के नाम पर रखे गए हैं। दूसरे नंबर पर जल शाखा है। यहां पंप आपरेटर और अन्य कारणों से ठेके पर कर्मचारी रख लिए गए हैं। उन्हें निगम हर माह वेतन के रूप में मोटी रकम दे रहा है। उम्मीद की जा रही है कि दो दिन में जांच पूरी हो जाएगी। इसके बाद टीम शासन को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
निगम में नियमित कर्मचारियों का सेटअप ही लागू है। आयुक्त व महापौर भी इस सेटअप से अधिक अधिकारी, कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं कर सकते। ऐसे में जरूरत के मुताबिक ठेका कर्मचारियों की भर्ती की जाती है। इनके लिए किसी तरह के सेटअप की रूकावट नहीं है। यही कारण है कि अधिकारी मनचाही संख्या में ठेका कर्मचारी रख लेते हैं। राज्य शासन अब ठेका कर्मचारियों का भी सेटअप तैयार करने की तैयारी में है। ताकि अधिकारियों पर अंकुश लग सके।
टैक्स बढ़ाओ, खर्च में कटौती भी-
प्रदेश के नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद तेज हो गई है। एक ओर शासन लोगों पर 50 प्रतिशत अधिक संपत्ति कर लगाने की तैयारी में है तो दूसरी ओर खर्च में कटौती की भी योजना है। सूडा से भेजी गई जांच टीम को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। टीम की रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य विभाग और जल शाखा के सैकड़ों ठेका कर्मियों की छुट्टी करने की भी तैयारी है।
प्रदेश के नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद तेज हो गई है। एक ओर शासन लोगों पर 50 प्रतिशत अधिक संपत्ति कर लगाने की तैयारी में है तो दूसरी ओर खर्च में कटौती की भी योजना है। सूडा से भेजी गई जांच टीम को इसी नजरिए से देखा जा रहा है। टीम की रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य विभाग और जल शाखा के सैकड़ों ठेका कर्मियों की छुट्टी करने की भी तैयारी है।
* सूडा के अधिकारी ठेका कर्मियों की संख्या के संबंध में जानकारी मांग रहे हैं। इसके बाद वे अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे। - लेखाधिकारी, नगर निगम बिलासपुर