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उद्योगों व वाहनों से प्रदूषणयुक्त हुआ रायपुर, सरकार व पर्यावरण विभाग आज भी बेकार

छत्तीसगढ़/रायपुर 17 मई 2016 (जावेद अख्तर). राजधानी रायपुर में तेज़ी से बढ़ते वाहनों की संख्या और कल-कारखानों के धुओं के कारण पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया है। 13 मई 2016 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया के प्रदूषित शहरों की सूची जारी की। इसमें रायपुर को पांचवें स्थान पर रखा है। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कुछ फीसदी प्रदूषण की कमी देखी गई है।

इस रिपोर्ट से समझा जा सकता है कि रायपुर की वायु स्वास्थ्य के लिए कितनी हानिकारक है। एक्सपर्ट्स कहना है कि अभी भी समय है, शहर के वातावरण को शुद्ध कर लिया जाए। जरूरत है तो कड़ाई के साथ नियमों का पालन करने की। इस प्रदूषण से न सिर्फ हवा जहरीली होती जा रही है, बल्कि पानी भी परिवर्तन देखा जा रहा है।

प्रदूषण के स्टैंडर्ड मानक से चार गुना अधिक प्रदूषण-
राजधानी में प्रदूषण की दो मुख्य वजह हैं। सबसे अधिक वाहनों के यातायात से 45-50 प्रतिशत। इसमें 20 प्रतिशत से ज्यादा प्रदूषण गुणवत्ताहीन कंक्रीट सड़कों के धूल से है। उद्योगों से 32-35 प्रतिशत तक है। इसमें स्टील व पावर प्लांट प्रदूषण के सबसे बड़ा कारण है। वही बॉयोमास व सॉलिड फ्यूल की उपयोगिता के कारण 12-16 प्रतिशत प्रदूषण हो रहा है। एसोचैम से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, राज्य में आज भी 60 फीसदी मकानों में खाना लकड़ी व कंडा में केरोसिन डालकर बनाया जाता है, जबकि राष्ट्रीय आंकड़ा मात्र 23 प्रतिशत हैं। वही भारत सरकार द्वारा शुद्ध वातावरण के लिए 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर एक स्टैंडर्ड मानक तय किया है, जबकि रायपुर का वातावरण इस वर्ष 160 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जो कि स्टैंण्ड मानक से चार गुना ज्यादा है।
   
प्रदूषण कम करने के उपाय-
सरकारी व पब्लिक ट्रांसपोर्ट गाड़ियों में सीएनजी अनिवार्य
10 साल पुरानी गाड़ियों को रोड पर न चलने दें
आम लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग ज्यादा करें
ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम को मैन्यूल किया जाए
कंक्रीट रोड बनाते वक्त वैज्ञानिक पद्धति उपयोग करें
शहर को प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ लगाएं
उद्योगों में धुआं को रोकने के लिए आधुनिक मशीन हो
   
मुख्य कारण-
सड़कों को बनाने में गुणवत्ता विहीन निर्माण
लोक निर्माण विभाग में अस्सी फीसदी तक भ्रष्टाचार
परिवहन विभाग में 85 फीसदी तक भ्रष्टाचार जिससे ओवर-लोडिंग हैवी वाहनों का बराबर आवागमन
पर्यावरण विभाग तीन वर्षों से सो रहा है
पर्यावरण विभाग की लापरवाही से 22 फीसदी प्रदूषण बढ़ा
राजधानी रायपुर के वार्ड क्रमांक 70 में अवैध ईंट भट्टे का संचालन
ईंट भट्टे ने रायपुर के 5 वार्डों को किया प्रदूषण-युक्त
अस्पतालों द्वारा चिकित्सा सामग्रियों की डिस्पोजल की कोई सुविधा नहीं
नगर निगम में सफाई अव्यवस्था
अव्यवस्थित यातायात
   
प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक -
वायुमण्डल में लगातार कार्बन डाइ ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन, ऑक्साइड, हाइड्रो कार्बन आदि मिलते रहें तो स्वाभाविक है कि ऐसे प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से श्वसन सम्बन्धी बीमारियां होती हैं। साथ ही उल्टी, घुटन, सिरदर्द, आंखों में जलन आदि बीमारियां सामान्य बात हैं। वाहनों व कारखानों से निकलने वाले धुएं में सल्फर-डाइ-ऑक्साइड की मात्रा होती है, जो कि पहले सल्फाइड व बाद में सल्फ्यूरिक अम्ल (गंधक का अम्ल) में परिवर्तित होकर वायु में बूंदों के रूप में रहती है। वर्षा के दिनों में यह वर्षा के पानी के साथ पृथ्वी पर गिरती है, जिसमें भूमि की अम्लता बढ़ जाती है। इस गैस से दमा रोग भी होता है। ओजोन से भी त्वचा कैंसर जैसे भयंकर रोग से ग्रस्त हो सकते हैं।

सरकार को उद्योग से एमओयू रद्द करना चाहिए : पर्यावरणविद
सरकार को पर्यावरण व लोगों की सेहत पर ध्यान देना जरूरी है। अगर उद्योग के क्षेत्र में बड़ा निवेश चाहते हैं तो कुछ ठोस उपाय करने चाहिए। यह कहना है पर्यावरणविद प्रोफेसर का। उन्होंने बताया कि सरकार को इस फैसले से सबक लेते हुए पर्यावरण प्रभावित सभी एमओयू रद्द करने देने चाहिए। शहर में सैकड़ों बड़े-छोटे उद्योग स्थापित है। जहां से निकलने वाले धुआं पर कोई कोई नियंत्रण नहीं है। हालांकि लोगों में जागरूकता आई है। इसके कारण पिछले वर्ष के मुकाबले प्रदूषण में कुछ फीसदी की कमी आई है।
 
गाड़ियां की संख्या में 40 गुना इजाफा -
रायपुर ऑटोमोबाइल एसोसिएशन(राडा) ने सड़कों से पुरानी गाड़ियों को हटाने की मांग की है। एसोसिएशन का कहना है कि राजधानी में बढ़ते प्रदूषण का कारण पुरानी गाड़ियां ही हैं। नई गाड़ियां तो प्रदूषण के मापदंडों को ध्यान में रखकर ही आ रही हैं। इसलिए प्रदूषण के लिए पुरानी गाड़ियों को ही जिम्मेदार माना जा सकता है।