दिल्ली बीजेपी ने विज्ञापन देकर AAP सरकार को दी चुनौती - दम है तो करो कार्रवाई
नई दिल्ली 21 मई 2016 (IMNB). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री
और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मामले में बीजेपी को घेरने
वाली आम आदमी पार्टी (AAP) को अब उसी के अंदाज में जवाब मिला है. बीजेपी ने
विज्ञापन देकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार को चुनौती दी है कि वह जल बोर्ड
में हुए टैंकर घोटाले में कार्रवाई करे.
बताते चलें कि यह घोटाला साल 2012 में
शीला दीक्षित सरकार के दौरान हुआ था. इसमें टैंकर खरीद में 400 करोड़
रुपये के हेरफेर की बात कही जा रही है. इस मामले में पार्टी के
राष्ट्रीय सचिव ने दिल्ली के जल मंत्री कपिल मिश्रा को अगस्त 2015 में
रिपोर्ट सौंपी थी और मुख्यमंत्री केजरीवाल को चुनौती दी है कि इस मामले में
कार्रवाई करें. दिल्ली बीजेपी ने अपने विज्ञापन में आम आदमी पार्टी सरकार
को वादा पूरा करने की चुनौती दी है.
पांच बार रद्द किया गया टेंडर -
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के लिए स्टील वाटर टैंकर उपलब्ध कराने की योजना से जुड़े टेंडर की प्रक्रिया की जांच के लिए कमेटी बनाई थी. जो टेंडर लगातार पांच पर रद्द किया गया और आखिरकार 2012 में पास हुआ. उसी साल जल बोर्ड ने 400 वाटर टैंकर हासिल किए जिन्हें एक निजी कंपनी के ठेकेदार ने सप्लाई किए थे. लेकिन वाटर सप्लाई में कई इलाकों से शिकायतें आनी शुरू हो गईं.
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के लिए स्टील वाटर टैंकर उपलब्ध कराने की योजना से जुड़े टेंडर की प्रक्रिया की जांच के लिए कमेटी बनाई थी. जो टेंडर लगातार पांच पर रद्द किया गया और आखिरकार 2012 में पास हुआ. उसी साल जल बोर्ड ने 400 वाटर टैंकर हासिल किए जिन्हें एक निजी कंपनी के ठेकेदार ने सप्लाई किए थे. लेकिन वाटर सप्लाई में कई इलाकों से शिकायतें आनी शुरू हो गईं.
घाटे के साथ पास किया गया था टेंडर -
सूत्रों के मुताबिक, 'जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जल बोर्ड के अधिकारियों और कुछ चुने हुए सदस्यों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. जिनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अलावा जल बोर्ड के सदस्यों में मतीन अहमद, जल बोर्ड के सीईओ, वित्त सदस्य, प्रोजेक्ट इंजीनियर, एनआईएसजी (हैदराबाद) का भी नाम सामने आया है.' रिपोर्ट के मुताबिक, पांच बार रद्द किए जाने के बाद 360.55 करोड़ के नुकसान पर टेंडर पास किया गया. जबकि बेहतर प्लानिंग के जरिए सरकार को नुकसान से बचाया जा सकता था.
सूत्रों के मुताबिक, 'जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जल बोर्ड के अधिकारियों और कुछ चुने हुए सदस्यों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. जिनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अलावा जल बोर्ड के सदस्यों में मतीन अहमद, जल बोर्ड के सीईओ, वित्त सदस्य, प्रोजेक्ट इंजीनियर, एनआईएसजी (हैदराबाद) का भी नाम सामने आया है.' रिपोर्ट के मुताबिक, पांच बार रद्द किए जाने के बाद 360.55 करोड़ के नुकसान पर टेंडर पास किया गया. जबकि बेहतर प्लानिंग के जरिए सरकार को नुकसान से बचाया जा सकता था.