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भू-माफियाओं ने दलपत सागर में जलभराव रोकने हेतु 20 की जगह बनाए सिर्फ 4 सैफन

छत्तीसगढ़ 04 जून 2016 (अरमान हेथगेन). दलपतसागर मंच के पदाधिकारियों का आरोप है कि काफी समय से नई दुनिया के स्थानीय ब्यूरो चीफ द्वारा दलपत सागर हथियाने के लिये षडयंत्र रचा जा रहा है। नगर निगम राजस्व व तहसीलदार के साथ मिलकर ऐसी योजनाएं बनाई गई जिससे दलपत सागर पर कब्जा किया जा सके। हालांकि नई दुनिया के ब्यूरो चीफ की असलियत आज सबके सामने है।

असलियत सामने आने के बाद भी प्रशासनिक अमला जांच का हवाला देकर कारवाई करने से आज तक बचता ही रहा है। वहीं राजनीतिज्ञों ने भी इस मामले से दूरी बनाकर रखी हुई है। कुछ अखबारों ने मामले को लेकर समाचार प्रकाशित कर दिया जिसके बाद दलपत सागर का मामला विधानसभा तक में उठा। मगर आज भी इस मामले पर नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारी लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे हैं। दलपतसागर मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि एनजीटी के आदेश का परिपालन करते हुए बस्तर कलेक्टर अमित कटारिया ने दलपतसागर में जलभराव से सीमा तय करने हेतु पीडब्लूडी के अधिकारियों को पर्याप्त संख्या में समुचित आकार के "सैफन बनाने के आदेश" दिए थे, किंतु अधिकारियों ने भूमाफियाओं से सांठगांठ कर 3 किलोमीटर की लम्बाई में 20 की जगह मात्र "4 सैफन बनाकर" कर्तव्यों की इतिश्री कर ली, परिणाम स्वरूप अब जलाशय में पर्याप्त जलभराव में न केवल संदेह उत्पन्न हो गया है, बल्कि संभावनाएं पूर्णत: क्षीण हो गयी हैं।
   
सर्वे नहीं, मैप में अनेक त्रुटियां-
दलपतसागर मामले को लेकर नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिकाकर्ता वाईएन पांडे एवं मदन दुबे ने कहा कि एनजीटी ने स्पष्ट आदेश दिया है कि दलपतसागर में जलभराव के लिए अवैध रूप से बनाए गए बंड को हटाए बिना पर्याप्त संख्या में सैफन बनाने बनाए जाएं, ताकि खेत की ओर से बरसात के पानी केे जलाशय में प्रवेश पर कोई बाधा उत्पन्न न हो और पानी बंड के भीतर एवं बाहर फैलकर प्राकृतिक सीमा बना सके। बावजूद पीडब्लूडी और निगम के अधिकारी भूमाफियाओं को लाभ पहुंचानेे बाज नहीं आ रहे हैं। सैफन बनाने को न ही कोई सर्वे किया गया और न ही आधारभूत तकनीकी बातों का ध्यान रखा गया, निगम के मैप भी कई त्रुटियां हैं, जिसके बारे में हमने लिखित रूप से कलेक्टर समेत पीडब्लूडी के अधिकारियों को अवगत करवा दिया है। 
  
जलाशय को सूखा रखने की साजिश-
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अधिकारियों ने धरमपुरा से शुलभ शौचालय तक यानि 3 किलोमीटर के दायरे में जहां 20 सैफोन की जरूरत है, वहां महज 4 सैफोन ही बनाए हैं, वो भी छोटे-छोटे आकार के। ताज्जुब तो इस बात का है कि बालाजी मंदिर के पिछवाड़े से शुलभ शौचालय तक डेढ़ किलोमीटर की परिधि में जहां से बारिश के जल की सर्वाधिक आवक होती है, जानबूझकर एक भी सैफोन नहीं बनाया गया है, ताकि भूमाफियाओं के अतिक्रमण वाला समूचा क्षेत्र सूखा रह जाए और जलाशय का क्षेत्रफल सिमट जाए।
   
भूमाफिया चल रहे कुटिल चालें-
उन्होंने कहा कि इसी साजिश के तहत पूर्व में भी षडय़ंत्रकारियों ने जमीन हड़पने के लिये जलाशय के दोनों निकास द्वारों को क्षतिग्रस्त कर 6 फीट नीचे कर दिया था, जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि जलाशय का जल स्तर तेजी से गिर गया और दक्षिण किनारा सूखकर चटियल मैदान हो गया, जिस पर भूमाफियाओं ने कुटिल तरीके से दस्तावेजों में हेराफेरी कर कब्जा कर लिया।