अमृत योजना बनी काल - 'देवभोग दूध' पीने से दो बच्चे मृत, पांच बच्चे गंभीर अस्पताल में भर्ती
छत्तीसगढ़/रायपुर 01 जून 2016 (जावेद अख्तर). बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश में अमृत योजना के तहत केसरिया फ्लेवर का दूध जहर बन गया। बीजापुर और जांजगीर चांपा जिले में दूध पीने से दो बच्चों की मृत्यु हो गई एवं सात बच्चों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
कुपोषण से बचाना या दुनिया से हटाना -
बीजापुर जिले के केतलनार आंगनबाड़ी केन्द्र में केसरिया फ्लेवर का दूध पीने वाले दो बच्चों की मौत हो गई है और दो बीमार पड़ गए हैं तो वहीं उधर जांजगीर-चांपा के नवागढ़ ब्लॉक के गांव बर्रा गांव में यही दूध पीकर पांच बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए।
बच्चे आरती और प्रमिला की मौत -
केतुलनार आंगनबाड़ी केंद्र में परसों सुबह 10 बच्चों को केसरिया फ्लेवर का मीठा दूध पिलाया गया था। इसके बाद बच्चों को छुट्टी दे दी गई थी। बताया जा रहा है कि दूध पीने के एक घंटे बाद ही चार बच्चों को उल्टी शुरू हो गई। देर रात करीब एक बजे तीन वर्षीय आरती कुड़ियम पिता सोमारू की मौत हो गई। 3 वर्षीय प्रमिला मिच्चा पिता लखमू की मौत मंगलवार सुबह पांच बजे हो गई। वहीं पूजा कतलाम पिता शंकर (5 वर्ष) और देवेन्द्र मिच्चा पिता लखमू बेहोश ।
पांच बच्चों की हालत भी गंभीर -
जिला जांजगीर-चाम्पा, विकासखंड नवागढ़ ग्राम बर्रा के आंगनबाड़ी केन्द्र में परसों दस बच्चों को केसरिया फ्लेवर दूध पिलाया गया था। कुछ समय पश्चात तीन बच्चों को उल्टियां शुरू हो गई। लगभग दो घंटे के बाद पांच बच्चों की स्थिति बिगड़ने लगी। बीमार हुए पांचों बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया।
सरकार का दावा है कि इन बच्चों को जिन्हें नवागढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया था, रात भर डॉक्टरी देख-रेख में रखने के बाद सुबह उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। कलेक्टर जांजगीर-चाम्पा द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी को मामले की जांच का आदेश दिया गया था।
15 दिन पुराना था दूध -
केतलनार में पिलाया गया दूध 22-23 मई का और बर्रा में पिलाया गया दूध के पैकट पर 18 मई 2016 की पैकिंग तिथि अंकित है। इन पैकेटों के सैम्पल जांच के लिए नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन रायपुर की प्रयोगशाला को भेज दिया गया है।
कलेक्टर एसपी पहुंचे, आर्थिक सहायता भी दी गई -
सुबह घटना की खबर लगते ही कलेक्टर डॉ. अय्याज तम्बोली, एसपी के.एल. ध्रुव, एसडीएम सी.डी. वर्मा और महिला बाल विकास अधिकारी विजेंद्र ठाकुर केतुलनार पहुंचे और बीमार दो बच्चों को तुरंत 108 की मदद से जिला अस्पताल पहुंचाया गया। मृत बच्चों के शव पोस्टमार्टम के लिए कुटरू भेज दिए गए। इस दौरान मृत बच्चों के परिजनों को तत्काल 10-10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता राशि दी गई।
विरोध करने पंहुचे एनएसयुआई कार्यकर्ता गिरफ्तार -
इधर रायपुर में घटना की जानकारी मिलने पर एनएसयूआई के अध्यक्ष आकाश शर्मा के साथ दर्जनों कार्यकर्ता देवभोग दूध का पैकेट महिला बाल विकास मंत्री के बंगले पहुंचे और मंत्री रमशिला साहू और विभाग के अफसरों को इन्हें पिलाने की मांग की। सरकार जब बच्चों को यह दूध पिला सकती है तो मंत्री व अफसर क्यों नहीं पी सकते हैं। नारेबाज़ी और विरोध प्रदर्शन पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश -
मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने इस घटना को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए मंत्रालय के वरिष्ठ अफसरों की आपात बैठक बुलाई। बीजापुर कलेक्टर को पूरे मामले की जांच कर सात दिनों के भीतर रिपोर्ट देने कहा है।
मंत्रियों की भर्राशाही -
मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप और महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशीला साहू फौरन केतलनार गांव में के लिए रवाना हो गए।
मगर मंत्री जी इन मृत व गंभीर अवस्था में बीमार पड़े बच्चों के प्रति कितने गंभीर व संवेदनशील है यह इससे समझा जा सकता है कि, जगदलपुर से प्राप्त सूत्रों के मुताबिक, मंत्री जगदलपुर में ही रुक गये आराम फरमाने के लिए। अफसरों एवं अपने कुछ चमचों को घटना स्थल पर भेज दिया और रिपोर्ट तैयार करने के लिए आदेश दिया है।
जगदलपुर के सर्किट हाउस में शराब मुर्गे में मस्त रहे डाक्टर -
संवेदनहीनता और अफसरशाही का ऐसा बेजोड़ नमूना गाहे बगाहे दिखाई देता है। 2 बच्चों की मौत हो चुकी थी और पांच बच्चे जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे, पूरा क्षेत्र गमी में डूबा था, सभी लोग दुआएं व प्रार्थना और जिंदगी की भीख ऊपर वाले से मांग रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ बच्चों की देखभाल करने पहुंचे डाक्टर व अफसर रात भर शराब पीने, चिकन रोस्ट और चखना खाने में ही मशगूल रहे। डाक्टरों को भगवान का रूप माना जाता है मगर यहाँ पर कैसे इन डाक्टरों को मानव माना जाए, भगवान के रूप की बात तो बहुत दूर की है। मानव इस हद तक गिर सकता है इसका अनुमान लगा पाना असंभव था मगर इस तस्वीर को देखकर समझ सकते हैं कि,
ऐ मेरे दोस्त जरा सा संभल कर,
भरोसा करना आज के इंसानों पर।
गले मिलते हैं खास दोस्तों की तरह,
दिल चीर देते हैं दुश्मनों की तरह।
जमाना इस कदर बदल गया है यारों,
मुर्दे और कफ़न भी चोरी हो जाते हैं।
बच्चों के जानों की रक्षा करने वाले,
पूरी रात मुर्गे व शराब संग झूमते रहे।