30 साल बाद साकार हुआ सपना, वायुसेना के बेड़े में शामिल हुआ पहला स्वदेशी लड़ाकू विमान 'तेजस'
बेंगलूरु 01 जुलाई 2016 (IMNB). आसमान में शुक्रवार को भारत की
ताकत और बढ़ गई. बेंगलुरु में शंख की गूंज के साथ देश में बने पहले लाइट
कॉम्बैट लड़ाकू विमान तेजस को एयरफोर्स में शामिल किया गया. इन दो विमानों
के बेड़े का नाम 'फ्लाइंग डैगर्स फोर्टीफाइव' है. ये विमान 1350 किमी प्रति
घंटे की रफ्तार से आसमान का सीना चीर सकते हैं, जो दुनिया के सबसे बेहतरीन
फाइटर प्लेन को टक्कर देने की हैसियत रखता है.
सार्वजनिक क्षेत्र की
कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इन फायटर प्लेन का
निर्माण किया है. इसके साथ ही स्वदेशी लड़ाकू विमान का हिंदुस्तान का सपना
30 साल की मेहनत के बाद पूरा हो गया है. तेजस की क्षमताओं की तुलना फ्रांस
की बनी 'मिराज 2000', अमेरिका की एफ-16 और स्वीडन की ग्रिपेन से की जाती
है.
वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि दक्षिणी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन चीफ एयर मार्शल जसबीर वालिया की मौजूदगी में एयरक्राफ्ट सिस्टम टेस्टिंग एस्टेबलिशमेंट (एएसटीई) में एलसीए स्क्वाड्रन को शामिल किया गया. इस समारोह में वायुसेना में तेजस को शामिल करने से पहले पूजा-पाठ की गई. पहले दो साल यह स्क्वाड्रन बेंगलुरु में ही रहेगा.
दो साल बाद तमिलनाडु में होगी तैनाती
बताया जाता है कि दो साल बाद इसे तमिलनाडु के सुलूर भेजा जाएगा. बीते 17 मई को तेजस में अपनी पहली उड़ान भरने वाले एयर चीफ मार्शल अरूप राहा ने विमान को बल में शामिल करने के लिए अच्छा बताया था. वायुसेना ने कहा है कि इस वित्तीय वर्ष में कुल छह विमान और अगले वित्तीय वर्ष में करीब आठ विमान शामिल करने की योजना है.
स्क्वाड्रन में 20 विमान किए जाएंगे शामिल
तेजस अगले साल वायुसेना की लड़ाकू योजना में नजर आएगा और इसे फ्रंटफुट वाले एयरबेस पर भी तैनात किया जाएगा. तेजस के सभी स्क्वाड्रन में कुल 20 विमान शामिल किए जाएंगे, जिसमें चार आरक्षित रहेंगे.