बहनों की आशाओं पर पानी फिरा, स्वतंत्रता दिवस पर नहीं होंगे कैदी रिहा
छत्तीसगढ़ 15 अगस्त 2016 (छत्तीसगढ़ ब्यूरो). स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस बार रायपुर केन्द्रीय जेल से आजीवन कारावास की सजायाफ्ता एक भी कैदी रिहा नहीं होगा। इस दौरान जेल प्रशासन ने 51 बंदियों के नाम प्रस्ताव के रूप में मुख्यालय को भेजे थे। लेकिन शासन की ओर से आदेश नहीं मिलने के कारण बंदी रिहा नहीं हो पाएंगे।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के बंदीगृह में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों की रिहाई में एकरूपता लाने के लिए स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के अवसर पर बंदियों की रिहाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिसके अनुसार अब बंदी केवल इन्ही दो अवसरों पर रिहा नहीं किए जाएंगे अलबत्ता साल भर समय-समय पर जेल प्रशासन बंदियों के आचरण व व्यवहार को दृष्टिगत रखते हुए जेल मुख्यालय को एक प्रस्ताव बनाकर भेजेगा। जिस पर मुख्यालय यह प्रस्ताव शासन को प्रेषित करेगा और शासन से अनुमति मिलने के बाद बंदी रिहा किए जाते रहेंगे। रायपुर केन्द्रीय कारागार से जेल प्रशासन ने 51 बंदियों के प्रस्ताव मुख्यालय को भेजे थे। लेकिन रविवार की देर रात तक जेल प्रशासन को उनके रिहाई के आदेश नहीं मिले थे।
रिहाई की आस में बंदी जेल में मनाएंगे रक्षाबंधन -
एक लंबे अर्से से जेल में हत्या व अन्य अपराधों में आजीवान कारावास की सजा काट रहे 51 बंदियों को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रिहा होने कीआस लगाए हुए थे। लेकिन शासन की ओर से आदेश न मिलने के कारण जेल में बंद 51 बंदी जेल में ही रक्षाबंधन का पर्व मनाएंगे।
एक लंबे अर्से से जेल में हत्या व अन्य अपराधों में आजीवान कारावास की सजा काट रहे 51 बंदियों को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रिहा होने कीआस लगाए हुए थे। लेकिन शासन की ओर से आदेश न मिलने के कारण जेल में बंद 51 बंदी जेल में ही रक्षाबंधन का पर्व मनाएंगे।
बहनों की उम्मीदों पर पानी फिरा -
अच्छे चाल-चलन व सदव्यवहार के कारण जेल प्रशासन ने 51 बंदियों के नाम रिहाई के लिए भेजे थे इन 51 बंदियों के बहनों को भी अपने भाइयों की रिहाई की प्रतिक्षा थी लेकिन शासन की ओर से आदेश न मिलने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। ऐसे में अपने भाइयों की कलाइयोंं में दूर-दराज गांवों में उनके घर लौटने की आस लगाए बैठी बहनों को भी जेल मेंं ही आकर राखी बांधनी पड़ेगी।
अच्छे चाल-चलन व सदव्यवहार के कारण जेल प्रशासन ने 51 बंदियों के नाम रिहाई के लिए भेजे थे इन 51 बंदियों के बहनों को भी अपने भाइयों की रिहाई की प्रतिक्षा थी लेकिन शासन की ओर से आदेश न मिलने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। ऐसे में अपने भाइयों की कलाइयोंं में दूर-दराज गांवों में उनके घर लौटने की आस लगाए बैठी बहनों को भी जेल मेंं ही आकर राखी बांधनी पड़ेगी।